नोटबंदी के फैसले का जिन लोगों पर बुरा असर पड़ा है, उनके लिए ममता बनर्जी सरकार ने तमाम तरह की राहत का एलान किया है. देश में इस तरह की राहत का एलान करने वाला पश्चिम बंगाल पहला राज्य बन गया है.
तृणमूल कांग्रेस सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने इन राहतों की घोषणा की. मित्रा ने कहा कि राज्य सरकार उन लोगों को 50,000 रुपए की एकमुश्त सहायता देगी जिन्हें केंद्र के नोटबंदी के फैसले की वजह से नुकसान उठाना पड़ा. ये रकम उन्हें वैकल्पिक कारोबार शुरू कर अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद देगी.
मित्रा ने कहा कि नोटबंदी से जिन लोगों पर बुरा असर पड़ा है उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी. त्रा ने नोटबंदी को वित्तीय और राजनीतिक आपातकाल बताया. नए प्रस्ताव के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार छोटे व्यवसायों से जुड़े 50,000 श्रमिकों की पहचान करेगी जिन्हें राज्य में या राज्य से बाहर अपना रोजगार खोना पड़ा और घर लौटना पड़ा.
मित्रा ने बजट भाषण में किसानों के लिए भी राहत का एलान किया. मित्रा ने कहा कि किसान कर्ज के लिए कोऑपरेटिव बैंकों पर आधारित होते हैं लेकिन कोऑपरेटिव सिस्टम को ही नोटबंदी ने भारी नुकसान पहुंचाया.
मित्रा ने चिंता जताई कि कई किसान उर्वरक, बीज नोटों पर बैन के चलते सही समय पर नहीं खरीद सके. मित्रा के मुताबिक किसानों की कठिनाइयों को कम करने के लिए राज्य सरकार 100 करोड़ रुपए का विशेष सहायता फंड बनाएगी.
मित्रा ने नोटबंदी का समग्र अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ने की आशंका जताई. मित्रा ने कहा कि देश की आर्थिक विकास की दर घट कर 7.1% फीसदी पर आ गई है और ये खुद केंद्र सरकार के आंकड़े बता रहे हैं. श्रमिकों को रोजगार खोना पड़ा. मित्रा ने कहा कि नोटबंदी की वजह से पश्चिम बंगाल की आर्थिक विकास की दर भी घट कर 9.27% पर आ सकती है.
बजट प्रस्तावों पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रतिक्रिया में कहा कि तमाम वित्तीय मुश्किलों के बावजूद राज्य सरकार ने सामाजिक सेक्टर से जुड़ी किसी योजना को रद्द नहीं किया है. ममता बनर्जी ने कहा, 'हमारी सरकार का चेहरा मानवीय है, हम सामाजिक न्याय में विश्वास रखते हैं. हम हमेशा लोगों के साथ हैं.'