पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों रंगों में खासी दिलचस्पी दिखा रही हैं. उन्होंने कोलकाता शहर में लाल रंग मिटाकर उसे नीले रंग में रंगना शुरू कर दिया है.
वाम दल के 34 साल के शासन के अंत के बाद तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पूरे कोलकाता को आसमानी रंग से रंगने का अभियान छेड़ रखा है. सरकारी इमारतें, पुल, लाइटें, सब नीले रंग में पुती नजर आ रही हैं. यहां तक सड़क के डिवाइडरों को भी नहीं छोड़ा गया है. वहां भी नीले और सफेद रंग में पेंट किया गया है. ममता के अधिकांश कार्यक्रमों में भी नीले रंग का इस्तेमाल अधिक किया गया था. योजना के तहत पश्चिम बंगाल में अब लाल बत्ती की जगह नीली या हरी या कई रंगों वाली बत्ती का इस्तेमाल किया जाएगा. यहां तक की मुख्यमंत्री भी अपनी गाड़ी पर लाल बत्ती का प्रयोग नहीं करतीं. राज्य परिवहन की बसों में भी नीले और सफेद रंगों का इस्तेमाल होगा.
ममता के सत्ता में काबिज होने के बाद हावड़ा स्टेशन पर बाहरी लाइटिंग डेकोरेशन का रंग भी हरा कर दिया गया. रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने दुरंतो एक्सप्रेस शुरू करवाई थी और उसके लुक में भी हरा रंग डलवा दिया था. इसके अलावा पश्चिम बंगाल में बहुत से रेलव स्टेशनों का रंग अब लाल से हरा और संतरी हो चला है.
दरअसल पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की वामदलों से चिढ़ जगजाहिर है. वास्तव में लाल रंग वामदलों का प्रतीक रंग है. एक पेंटर समीर आइच ने कहा, 'रंगों में बदलाव की इस मुहिम के पीछे मुझे कोई तर्क नजर नहीं आता. ये बस मुख्यमंत्री की सनक है.'