एफडीआई को लेकर सरकार के खिलाफ ममता बनर्जी के अविश्वास प्रस्ताव पर कवायद तेज हो गई है. इसको लेकर खुद ममता बनर्जी ने मोर्चा संभाल लिया है. 19 सांसदों की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इसके लिए बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों से समर्थन मांगा है.
तृणमूल का उनका कहना है कि कोई भी पार्टी उनके लिए अछूत नहीं है. तृणमूल मुद्दे पर किसी भी पार्टी से बात करने को तैयार है क्योंकि केंद्र सरकार भ्रष्टाचार में घिरी हुई है और अल्पमत में है. इसीलिए तृणमूल ने सभी पार्टियों से अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने की मांग की है.
इस मुद्दे पर बीजेपी की बैठक के बाद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनडीए के नेताओं के साथ बातचीत के बाद उनकी पार्टी फैसला लेगी.
बीजेपी की सहयोग पार्टी जेडीयू का भी कहना है कि शाम को एनडीए की बैठक में फैसला लिया जाएगा.
सबसे बड़ी बात ये ही कि सरकार को समर्थन दे रही डीएमके ने भी केंद्र सरकार की टेंशन बढ़ा दी है. करुणानिधि का कहना है कि रिटेल में एफडीआई का समर्थन उनकी पार्टी नहीं कर सकती. जबकि ममता के प्रस्ताव पर तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके की नेता जयललिता भी कर रही है. उनका कहना है कि उनकी पार्टी एफडीआई के विरोध में वोट डालेगी.
उधर सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी का भी कहना है कि एफडीआई के मुद्दे पर वह सरकार के साथ नहीं है. जबकि लेफ्ट पार्टी अपने ढुलमुल रवैये से दो फाड़ में बंट गई है.