पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के 12 जिलों को बाढ़ग्रस्त घोषित करते हुए केंद्र से आपदा के बाद के कार्य के लिए उचित धन उपलब्ध कराने की मांग की है. अब तक राज्य में बाढ़ से मरने वालों की संख्या 83 हो चुकी है.
मुख्यमंत्री ने दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) को अपने बैराजों से 'असामान्य' ढंग से पानी छोड़ने को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने दावा किया कि इसी वजह से बाढ़ के हालात पैदा हुए और बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ है. डीवीसी ने ममता के इस आरोप को खारिज किया है.
ममता ने कहा कि उन्होंने आगामी 11 और 12 अगस्त के अपने दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगा है. जिससे वह हालात पर चर्चा सकें और राष्ट्रीय आपदा राहत कोष के समक्ष बाढ़ के नुकसान को लेकर मांगें रख सकें.
उन्होंने कहा, 'मैं डीवीसी द्वारा पानी छोड़े जाने का मुद्दा भी उठाऊंगी.' मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने डीवीसी की ओर से पानी छोड़े जाने के मुद्दे को लेकर बिजली मंत्री पीयूष गोयल से शिकायत की है.
उन्होंने कहा, 'पहले भी मैंने डीवीसी को ड्रेजिंग और जलाशयों की क्षमता बढ़ाने के बारे में लिखा था, लेकिन दुखद है कि उसने कुछ नहीं किया. हम हमेशा डीवीसी के साथ सहयोग करते हैं, लेकिन वह सहयोग नहीं करता.' उधर, डीवीसी ने एक बयान जारी कर कहा कि पानी छोड़ा जाना बाढ़ की वजह नहीं है.
उसने कहा, 'पिछले कुछ दिनों से बाढ़ की स्थिति मुख्य रूप से ज्वार-भाटा के प्रभाव और कोमेन (तूफान) के दबाव से हुई बारिश की वजह से पैदा हुई है. तीन अगस्त को 95,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया जो दामोदर नदी के बहाव चैनल की क्षमता से कम है. यह क्षमता 1,10,000 क्यूसेक है.'
-इनपुट भाषा