पश्चिम बंगाल की सरकार ने बुधवार को मालदा जिले में कथित तौर पर लीची खाने से 7 बच्चों की मौत के बाद लोगों को यह सलाह दी है कि वे कच्ची लीची न खाएं.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने विधानसभा में इस घटना को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया. उन्होंने हालांकि दावा किया कि जिस अस्पताल में बच्चों की मौत हुई, वहां किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई. उन्होंने कहा, 'अधिकांश बच्चे बेहद गंभीर स्थिति में लाए गए थे. उनके उपचार के दौरान कोई लापरवाही नहीं बरती गई.'
मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन की टीमों ने अस्पताल का दौरा किया और नमूनों को एकत्रित किया. भट्टाचार्य ने कहा, 'लगता है कि सभी मौतों का कारण कच्ची लीचियों में मौजूद जहर है. पकी लीचियों में यह जहर नहीं पाया गया है. मैंने लोगों से अपील की है कि वे कच्ची लीची न खाएं. खासकर बच्चों को कच्ची लीची नहीं दी जानी चाहिए.'
भट्टाचार्य ने कहा कि इस तरह की मौतें पहले लेफ्ट शासनकाल में भी हुई थी. उन्होंने कहा, 'इस तरह का वाकया बिहार के मुजफ्फरपुर में भी देखा गया है, जहां लीची बड़ी मात्रा में पैदा होती है.'
मंत्री के बयान के तुरंत बाद पेशे से डॉक्टर और वाम सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके विपक्ष के नेता सूरज कांत मिश्रा ने कहा, 'जब हमारी सरकार थी और ऐसे मामलों की सूचना दी गई थी, तब हमें पता चला था कि ऐसा लीची के डंठलों पर छिड़के गए कीटनाशकों के कारण हुआ था.' अब हमें नई जानकारियां मिल रही हैं. इस महीने के पहले जब मामलों की सूचना दी गई थी, तो कहा गया था कि इसके लिए विषाणु जिम्मेदार हैं. अब, कहा जा रहा है कि इसके लिए लीची में मौजूद जहर जिम्मेदार है.'
उन्होंने कहा, 'मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह विशेषज्ञ की राय ले, ताकि इस त्रासदी के कारणों का पता चल सके.' मालदा जिले में 3 से 7 जून के बीच दो से चार साल के बीच के कम से कम सात बच्चों की मौत हो चुकी है. अस्पताल के उप प्राचार्य सह अधीक्षण अधिकारी एम.ए. रशीद ने इसके लिए वायरल सिंड्रोम को जिम्मेदार बताया है.