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पूरे हिंदुस्‍तान में फैली है दरिंदगी की दास्‍तां...

एक बार फिर लोगों का खून खौल उठा है, एक बार फिर लाखों आंखों में अंगारे दहक रहे हैं, क्योंकि एक बार फिर एक मासूम बच्ची एक दरिंदे का शिकार हुई, लेकिन समाज की बेबसी देखिए हैवानियत के सिलसिले पर कोई फर्क नहीं पड़ा.

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एक बार फिर लोगों का खून खौल उठा है, एक बार फिर लाखों आंखों में अंगारे दहक रहे हैं, क्योंकि एक बार फिर एक मासूम बच्ची एक दरिंदे का शिकार हुई लेकिन समाज की बेबसी देखिए हैवानियत के सिलसिले पर कोई फर्क नहीं पड़ा. अभी दिल्‍ली के गांधीनगर में 5 साल की बच्‍ची से हुए रेप के विरोध की आग धधक ही रही थी कि राजधानी के भलस्वा में एक और बच्ची से हैवानियत की दास्तान सामने आ गई.

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'गुड़िया' का गुनहगार पुलिस की गिरफ्त में
एक दरिंदे की हैवानियत की शिकार हुई 'गुड़िया' के लिए पूरा देश खड़ा हो गया. 5 साल की उस मासूम के वो खौफनाक 40 घंटे कितनी यातना में गुजरे होंगे, कितना वो तड़पी होगी और कितना वो चीखी होगी. दरिंदे ने उसकी चीखें दबाने की कोशिश की होगी तो उस वक्त उस पर क्या बीती होगी. ये सोचकर हर आंख में अंगारे दहक उठते हैं. गुड़िया का गुनहगार पुलिस की गिरफ्त में है, समाज बेचैन है जो सड़कों पर आकर अपना आक्रोश जाहिर कर रहा है.

हमने अपनी बच्चियों को ये कौन सा समाज दिया है. हमने अपनी बेटियों के लिए ये कौन सा माहौल बना रखा है, जहां बच्‍ची न तो घर में और न ही सड़क पर महफूज है.  देश उबल रहा है, लेकिन हैवानों पर कोई असर नहीं है.  गुड़िया से दरिंदगी के विरोध की आग अभी धधक ही रही थी कि दिल्ली के भलस्वा में एक और बच्ची से हैवानियत की दास्तान सामने आ गई.

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रिक्‍शेवाले ने मासूम को बनाया हवस का शिकार
भलस्वा में एक नशेड़ी रिक्शेवाले ने 8 साल की एक मासूम को अपनी हवस का शिकार बना डाला. गुस्साए लोगों ने आरोपी रिक्शेवाले को पीट-पीटकर पुलिस के हवाले कर दिया. दिल्ली पुलिस ने रिपोर्ट लिखने में आनाकानी की तो लोगों ने यहां जमकर प्रदर्शन किया.

बात अगर राजधानी दिल्ली की करें तो यहां पिछले एक पखवाड़े में ही बलात्कार की सात घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इन बच्चियों पर क्या बीती है, ये उनका दिल ही जानता है. पिछले दिनों गैंगरेप की शिकार हुई दिल्ली की फर्श बाजार की 13 साल की मासूम पुलिसिया रवैये से इतनी तंग आ गई कि उसने अपनी जिंदगी ही खत्म करने की कोशिश कर डाली.

पूरे देश से दरिंदगी की दास्तान
हैवान सिर्फ राजधानी में ही बच्चियों का शिकार नहीं कर रहे हैं, बल्कि पूरे देश से दरिंदगी की दास्तान सामने आ रही हैं. अब बात चाहे उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में बलात्कार की शिकार छोटी सी बच्ची की हो या फिर मध्य प्रदेश के सिवनी में हैवानियत की शिकार हुई मासूम की. तितलियां पकड़ने की उम्र थी, गुड़िया से खेलने की उम्र थी, दादी-नानी की कहानियां सुनने की उम्र थी, एक खुशनुमा जिंदगी से रू-ब-रू होने की उम्र थी लेकिन, इन बच्चियों ने तो इसी उम्र में दुनिया की सबसे घिनौनी और सबसे भयानक तस्वीर देख ली.

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'बलात्कार' नाम का लफ्ज किसी हथौड़े कि तरह दिलो-दिमाग पर चोट करता है . कन्या पूजन और नारी पूजने वाले इस देश में बलात्कार एक भयानक सच है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में हमारा समाज कितना बर्बर हो गया है. 

3 महीने में दिल्‍ली में 393 बलात्‍कार
एशियन ह्यूमन राइट्स और नेशनल क्राइन रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2001 से 2011 तक 10 सालों में देश में बलात्कार के मामले 336 फीसदी बढ़ गए हैं. 10 सालों में देश भर में बलात्कार के 48 हजार 338 मामले दर्ज किए गए. दिल्ली में साल 2012 में बलात्कार के 706 मामले दर्ज हुए, लेकिन पिछले 3 महीने में ही दिल्ली के दरिंदों ने बलात्कार की 393 घटनाओं को अंजाम दे दिया. 

14 दिनों में बलात्‍कार के 40 मामले दर्ज
16 दिसंबर की रात दिल्ली में दुनिया का सबसे भयानक निर्भया बलात्कार कांड सामने आया था. पूरा देश हैवानों के खिलाफ उबल पड़ा था, लेकिन हैवानों की करतूत आप जानेंगे तो सन्न रह जाएंगे. 16 दिसंबर से 31 दिसंबर तक सिर्फ 14 दिनों के भीतर राजधानी दिल्ली में बलात्कार के 40 मामले दर्ज किए गए. 16 दिसंबर की रात दिल्ली में जो कुछ भी हुआ था, उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. तब हमने बलात्कार पर नए कानून बनाने की लड़ाई लड़ी थी.

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मगर सब कुछ होने के बावजूद सिस्टम नहीं बदला, हैवानों की हरकतें नहीं बदलीं. आखिर कितनी निर्भया, कितनी गुड़िया हैवानियत की भेंट चढ़ेंगी. इस देश की हर बेटियां पूछ रही हैं कि आखिर कब रुकेगा उस जैसी मासूमों पर हैवानियत का कहर.

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