केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का कहना है कि यौन उत्पीड़न की शिकायत घटना के 10 से 15 साल बाद भी की जा सकती है. बाल यौन शोषण के बारे में शिकायत दर्ज कराने के लिए कानून में समय की कोई सीमा नहीं है और इसे कभी भी कराया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि ऐसी सुविधा विशेष रूप से बचपन में यौन शोषण का शिकार हुई पीड़िताओं के लिए है. केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भारत में यौन शोषण के खिलाफ चलाए जा रहे #metoo अभियान पर अपनी प्रतिक्रिया दे रही थीं.
इन दिनों कई बड़ी फिल्मी हस्तियों पर यौन शोषण करने के आरोप लगे हैं. मशहूर फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर के अलावा गायक कैलाश खेर , रजत कपूर, निर्देशक विकास बहल समेत अन्य क्षेत्रों के लोगों पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं. बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता के नाना पाटेकर पर छेड़छाड़ के आरोप लगाने के बाद से देश में #MeToo अभियान काफी चर्चा में है.
उन्होंने इस अभियान को लेकर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि उन्हें नहीं लगता यह अभियान नियंत्रण से बाहर चला जाएगा. एएनआई से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ जो लोग अपराध करते हैं उन्हें माफ कर दिया जाता है, लेकिन पूरे वायके पर देखा जाए तो महिलाएं जिम्मेदार हैं.
मीडिया को तथ्यों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना से पीड़िता के अंदर जो गुस्सा उठता है वह कभी खत्म नहीं होता जिसके साथ यह बीतता है वह उसे कभी नहीं भुला पाती. यही कारण है कि हमने कानून मंत्रालय को लिखा है कि यौन शोषण की घटना के बारे में शिकायत करने की कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि आप 10 से 15 साल बाद भी यौन शोषण की शिकायत कर सकते हैं. अगर आप शिकायत करना चाहते हैं तो कभी भी कर सकते हैं. यौन शोषण को लेकर गुस्सा कभी खत्म नहीं होता. केंद्रीय मंत्री ने #metoo अभियान पर खुशी जताई और कहा कि यह तो बस शुरुआत है.
उन्होंने कहा कि हमने कानून मंत्रालय को लिखा है कि किसी आयु सीमा के बगैर लोगों को शिकायत करने की अनुमति होनी चाहिए. सीआरपीसी की धारा 468 के तहत बाल यौन उत्पीड़न की घटना की सूचना तीन वर्ष के अंदर देना अनिवार्य है जिसके लिए तीन साल जेल की सजा का प्रावधान है. हालांकि दंड प्रक्रिया की धारा 473 के अनुसार, कोर्ट किसी पुराने मामले का भी संज्ञान ले सकती है.
हाल ही में मेनका गांधी ने प्रस्ताव दिया है कि बाल उत्पीड़न के मामले में पीड़ित को 30 साल की उम्र तक शिकायत दर्ज कराने की इजाजत दी जानी चाहिए.
इससे पहले मेनका गांधी ने सोमवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर बाल यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज कराने में आयु सीमा हटाने को कहा और साथ ही नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले दर्ज कराने की समयावधि की कानूनी स्थिति पर सफाई मांगी है.
मेनका गांधी ने ट्वीट किया, 'मैंने हमारे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह बाल यौन उत्पीड़न के मामलों में लागू समयावधि पर कानून की स्थिति स्पष्ट करें. हमने हमारे विचार व्यक्त किए हैं कि ऐसे मामलों में पीड़ितों को किसी भी वक्त शिकायत दर्ज कराने की मंजूरी दी जाए.'I have written to our Law Minister Shri. @rsprasad ji, requesting to clarify the legal position on ‘period of limitation’ applicable to cases of child sexual abuse. We have expressed our views that such cases should be permitted to be reported by the survivors at any time.
— Maneka Gandhi (@Manekagandhibjp) October 8, 2018
#MeToo यानी 'मैं भी' यह यौन उत्पीड़न और यौन शोषण के खिलाफ सोशल मीडिया पर चल रहा एक बड़ा अभियान है. सोशल मीडिया पर इस हैशटैग के साथ यौन हमलों के शिकार हुए लोग अपनी आपबीती बताते हैं.
इसकी शुरुआत पिछले साल सोशल मीडिया पर अक्टूबर में #MeToo हैशटैग के साथ लोगों ने अपने साथ कार्यस्थल पर हुए यौन उत्पीड़न या यौन हमलों की कहानियां सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू किया जो काफी लोकप्रिय हुआ.