जब सब्र का बांध टूट जाता है, जब भरोसे की नींव हिलने लगती है, तो तकलीफ का दरिया पलकों की देहरी को तोड़ सबकुछ बहा लेने पर आमादा हो जाता है. लेकिन दिल्ली की जमीन ऐसी है कि ना जाने कितने ऐसे दरिया यूं ही सूख रहे हैं. इस बार ये दरिया उठा है मंगोलपुरी से.
मंगोलपुरी रेप के मामले में दावों का पहाड़ खड़ा करने वाली दिल्ली पुलिस पर पीड़ित बच्ची के परिवार ने गंभीर आरोप लगाए हैं. दरअसल पुलिस अब तक किसी आरोपी को पकड़ नहीं पाई है और अपनी नाकामी छिपाने के लिए उल्टे परिवार वालों को ही बदनामी का हवाला देकर मामले को रफा दफा करने की कोशिश कर रही है.
एक मासूम बच्ची को हैवानों ने शिकार बनाया. हंगामा हुआ, गुस्से का तूफान सड़कों पर आया, तोड़ फोड़ हुई, क्या कुछ नहीं हुआ. पुलिस ने अपनी पीठ ठोकी कि जल्द ही दरिंदे पकड़े जाएंगे. लेकिन पुलिसिया दावों के इन ऊंचे सुरों की सच्चाई क्या है?
इसका एक चेहरा तब सामने आया जब इंसाफ की गुहार लगाते बच्ची के एक रिश्तेदार ने हमपर भरोसा जताया और दिल्ली आजतक को फोन किया. दावों का पहाड़ खड़ा करने वाली दिल्ली पुलिस पर मंगोलपुरी मामले में दो गंभीर आरोप खुद बच्ची के परिवार ने लगाए. पुलिस अबतक किसी आरोपी को पकड़ नहीं पाई है. लेकिन अपनी जिम्मेदारी समझते हुए दिल्ली आज तक ने इस आवाज को मुकम्मल जगह पहुंचाने की कोशिश भी की.
हमने पीड़ित के रिश्तेदार की सीधी बात कराई दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह से. ये हैरत की बात है .16 दिसंबर की जिस घटना के बाद दिल्ली पुलिस और सरकार ने रिकॉर्डतोड़ दावे किए. उसी दिल्ली में एक मासूम बच्ची जो दरिंदो के हवस का शिकार बनती है.
उसके परिवार वाले इंसाफ के लिए गुहार लगा रहे हैं. कहीं सुनवाई नहीं हुई तो दर्द की एक आवाज हम तक भी पहुंची. हमने अपना फर्ज निभाते हुए उस आवाज को प्रशासन के कानों तक पहुंचाने की कोशिश की. इस उम्मीद के साथ कि प्रशासन के कानों पर कुछ तो असर होगा और इंसाफ़ की इस लड़ाई में एक और परिवार जीत हासिल करेगा.