सोमवार को जम्मू-कश्मीर के नवनिर्वाचित सीएम मुफ्ती मोहम्मई सईद ने केंद्र सरकार से अफजल गुरु के अवशेष मांगे . सियासत के सूरमाओं ने इस ओर बयानबाजी शुरू कर दी और देश के भगवा बिग्रेड ने एक बार फिर अफजल को दोषी और आतंकी बताकर सईद की खिलाफत की. लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस ने मौके पर चौका मारा है. मंगलवार को संसद भवन पहुंचे मणिशंकर अय्यर ने कहा कि अफजल के साथ नाइंसाफी हुई थी.
संसद भवन के बाहर बयान देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अफजल गुरु के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे और उनका ऐसा मानना है कि अफजल के साथ नाइंसाफी हुई थी. खास बात यह है कि जिस समय अय्यर सदन के बाहर यह बयान दे रहे थे, उसी समय लोकसभा में सरकार बीमा विधेयक बिल पेश कर रही थी. यह बिल पहले से ही विवादों में है, लिहाजा विपक्ष की कोशिश सरकार को सदन के अंदर और बाहर दोनों ओर से घेरने की है.
राष्ट्र विरोधी था अफजल: राउत
इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अफजल को फांसी दी गई, क्योंकि वह राष्ट्र विरोधी था. राउत ने कहा, 'अफजल को सुप्रीम कोर्ट और कानून ने सजा दी. अगर मणिशंकर अय्यर को लगता है कि अफजल के साथ नाइंसाफी हुई थी तो उन्हें यह बयान पाकिस्तान में जाकर देना चाहिए यहां नहीं.'
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सईद की सरकार ने केंद्र सरकार से संसद हमले के गुनहगार अफजल गुरु के अवशेष सौंपने की मांग की है. पीडीपी सरकार की इस मांग पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने फिलहाल कोई सीधा जवाब नहीं दिया है, हालांकि बीजेपी विधायकों की ओर से विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए हैं. पीडीपी के आठ विधायकों ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा कि पार्टी अफजल के अवशेषों की वापसी के लिए पूरी ताकत से लगे रहने का वादा करती है. गुरु को नौ फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी.