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मणिपुर में मुश्किल में भाजपा, राज्यसभा चुनाव में जीत से क्या अब बच जाएगी सरकार?

मणिपुर में आए सियासी संकट से निकलने की कोशिशें तेज हो गई हैं. एनपीपी प्रमुख और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने मणिपुर संकट का हल निकालने के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह समेत अन्य नेताओं से रविवार को बातचीत की है.

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मणिपुर सरकार को बचाने में जुटे एनपीपी कोनराड संगमा और हिमंत बिस्वा शर्मा
मणिपुर सरकार को बचाने में जुटे एनपीपी कोनराड संगमा और हिमंत बिस्वा शर्मा

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  • मणिपुर सरकार को बचाने में जुटे बीजेपी के संकट मोचक
  • मेघालय के सीएम से लेकर असम के वित्त मंत्री तक सक्रिय

बीजेपी मणिपुर में राज्यसभा की एकलौती सीट को जीतने में सफल रही है. बीजेपी ने यह सीट ऐसे समय में जीती है जब पार्टी के तीन विधायकों सहित 9 एमएलए ने समर्थन वापस ले लिया था. इससे बीजेपी मुश्किलों में घिरी गई है और सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. कांग्रेस राज्य की सत्ता से बीजेपी को बेदखल करने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी है. ऐसे में बीजेपी भी अपनी सत्ता को बरकरार रखने की कवायद में जुटी है.

पूर्वोत्तर में बीजेपी अपने दुर्ग को बरकरार रखने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. मणिपुर में आए सियासी संकट से निकलने की कोशिशें तेज हो गई हैं. एनपीपी प्रमुख और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने मणिपुर के संकट के हल निकालने के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह समेत अन्य नेताओं से रविवार को बातचीत की है.

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मणिपुर की सियासत में मचे घमासान को शांत करने के लिए ही दोनों नेताओं को भेजा गया है. दोनों नेता बीजेपी और एनपीपी की मणिपुर इकाई के बीच चल रहे अंतर्कलह को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों नेता एनपीपी के चारों विधायकों के इस तरह इस्तीफे सौंपने की वजह पर भी चर्चा कर रहे हैं. मेघालय सीएम संगमा अपने विधायकों को मानने की कोशिश कर रहे हैं कि वे सरकार से समर्थन वापस लेने और कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन में शामिल होने के फैसले पर बार फिर से विचार करें.

बता दें कि मणिपुर में बीजेपी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से बुधवार को उपमुख्यमंत्री वाई जॉय कुमार सिंह, मंत्री एन कायिशी, मंत्री लेतपाओ हाओकिप और मंत्री एल जयंत कुमार सिंह ने मंत्री पदों से इस्तीफा दे दिया है. चारों एनपीपी के विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान भी कर दिया है. इसके अलावा तीन बीजेपी विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी है और दो अन्य विधायकों ने भी समर्थन वापस ले लिया है. बीजेपी से इस्तीफा देने वाले विधायकों ने बकायदा कांग्रेस का दामन भी थाम लिया है.

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मणिपुर के एनपीपी प्रमुख थांगमिलेन किपगेन ने गुरुवार को राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से मिलकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने और बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सिफारिश की थी. इतना ही नहीं एनपीपी नेता मणिपुर में इबोबी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए नवगठित सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) को आमंत्रित करने की गुजारिश की है.

मणिपुर में बीजेपी सरकार एनपीपी और अन्य विधायकों के समर्थन से चल रही है. वहीं, मेघालय में एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा की अगुवाई वाली सरकार बीजेपी के सहयोग से चल रही है. इसीलिए मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा मणिपुर सरकार को बचाने की दिशा में सक्रिय हैं, क्योंकि अगर मणिपुर में एनपीपी के समर्थन से सरकार गिर जाएगी तो मेघालय में सियासी संकट मंडरा सकता है.

दरअसल तकनीकी तौर पर देखा जाए तो 60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में फिलहाल सदस्यों की संख्या घटकर 49 रह गई है. इससे पहले कांग्रेस के एक और विधायक को अयोग्य घोषित किया गया था. इस तरह कांग्रेस के कुल आठ विधायकों को पहले ही अयोग्य घोषित किया जा चुका है और बुधवार को बीजेपी के जिन तीन विधायकों ने इस्तीफा दिया था उनको भी अयोग्य घोषित किया जा चुका है.

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मणिपुर में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 28 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई थी लेकिन 21 सीटें जीतने वाली बीजेपी सहयोगी दलों के समर्थन से राज्य में पहली बार अपनी सरकार बनाने में सफल रही. 60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में भाजपा गठबंधन के पास कुल 32 विधायकों का समर्थन था. लेकिन अब 9 विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है जिनमें तृणमूल कांग्रेस का एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक शामिल है.

फ्लोर टेस्ट हुआ तो मुरझा जाएगा कमल?

मणिपुर में अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो 11 विधायक (हाई कोर्ट से रोके गए 7 विधायक, इस्तीफा दे चुके 3 विधायक और अयोग्य विधायक श्याम कुमार) वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. इस स्थिति में 49 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन सिर्फ 22 वोट ही सिक्योर कर पाएगा जबकि कांग्रेस गठबंधन के खाते में 26 वोट आ सकते हैं.

कांग्रेस का फिलहाल आंकड़ा उसके 20 विधायकों के साथ एनपीपी के चार, एक टीएमएसी और एक निर्दलीय के साथ-साथ बीजेपी के दो विधायकों की संख्या को जोड़ लेते हैं, तो 28 पहुंचता है. वहीं, बीजेपी के 18, नगा पीपुल्स फ्रंट के चार विधायक और लोजपा का एक विधायक बीरेन सिंह के साथ हैं. इस तरह बीजेपी के समर्थक विधायकों की कुल संख्या 23 पर पहुंचती है. इस तरह से मणिपुर की सत्ता का संग्राम काफी दिलचस्प हो गया है.

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