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33 साल बाद सेना प्रमुख की नियुक्ति में वरिष्ठता नजरअंदाज, कांग्रेस ने उठाए सवाल

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने ट्विटर पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता का ख्याल क्यों नहीं रखा गया? क्यों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अली हरीज की जगह विपिन रावत को प्राथमिकता दी गई.

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लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत
लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत

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मोदी सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को अगला सेना अध्यक्ष घोषित कर दिया है. वहीं एयर मार्शल बीएस धनोवा को नया वायुसेना प्रमुख बनाया गया है. कांग्रेस ने बिपिन रावत की नियुक्ति पर सवाल उठाया है. कांग्रेस ने कहा है कि नियुक्ति में वरिष्ठता का ख्याल क्यों नहीं रखा गया.

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने ट्विटर पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता का ख्याल क्यों नहीं रखा गया? क्यों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अली हरीज की जगह बिपिन रावत को प्राथमिकता दी गई. पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के बाद सबसे वरिष्ठ है. दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरीज अगले सबसे वरिष्ठ हैं.

तिवारी ने दावा किया है कि लेफ्टिनेंट जनरल रावत तीसरे नहीं बल्कि चौथे वरिष्ठ हैं. यहां तक कि मध्य कमांड के सेना कमान के लेफ्टिनेंट जनरल बीएस नेगी उनसे वरिष्ठ हैं. वहीं सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो के सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा, 'आम तौर पर हम सशस्त्र बलों से संबंधित मुद्दों पर टिप्पणी कभी नहीं करते, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार भारत के प्रमुख संस्थानों के नियमों को बदलने की कोशिश कर रही.' 1983 में लेफ्टिनेंट जनरल एएस वैद्य को थल सेना प्रमुख बनाया गया था, जबकि उनसे वरिष्ठ सेनाधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा थे.

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रावत को मिले हैं कई सम्मान
11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में जनवरी 1979 में कमीशन लेने वाले ले. जनरल रावत का करियर उपलब्धियां भरा रहा है. वह दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होने वाले बैच के श्रेष्ठतम कैडेट रहे और उन्हें स्वार्ड ऑफ ऑनर मिला. लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल जैसे कई सम्मान से अलंकृत किए गए हैं.

आईबी और रॉ के नए प्रमुख के नाम पर भी मुहर
झारखंड कैडर के आईपीएस अधिकारी राजीव जैन को गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) का नया प्रमुख नियुक्त किया गया जबकि अनिल धस्माना बाह्य गुप्तचर एजेंसी रॉ का नेतृत्व करेंगे. दोनों अधिकारियों का कार्यकाल दो साल का होगा. जैन वर्तमान में गुप्तचर ब्यूरो में विशेष निदेशक के तौर पर कार्यरत हैं, वह एक जनवरी को नया पदभार संभालेंगे. जैन दिनेश्वर शर्मा का स्थान लेंगे जिनका दो वर्ष का कार्यकाल 31 दिसम्बर को समाप्त होगा.

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