जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है. जम्मू-कश्मीर में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन बढ़ा दिया गया है. हालांकि इस पर विपक्ष के जरिए अब सवाल भी उठाए जा रहे हैं.
कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का विरोध किया है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, 'ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सवालों का जवाब देने की जगह गृह मंत्री अमित शाह ने बात घुमाने की कोशिश की. अगर जम्मू कश्मीर के हालात सामान्य है तो राष्ट्रपति शासन की समयसीमा क्यों बढ़ाई जा रही है? पीडीपी और बीजेपी का गठबंधन राज्य में घटते वोट प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है. गृह मंत्री के भटकाने से जम्मू-कश्मीर के हालात सामान्य नहीं होंगे. अमित शाह ने विभाजन के लिए कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की. बीजेपी के दलों (आरएसएस) ने आजादी के संघर्ष में बिल्कुल भी हिस्सा नहीं लिया था.'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने से जुड़ा प्रस्ताव लोकसभा में रखते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में अभी विधानसभा चुनाव कराने का माहौल नहीं है. इसलिए 6 महीने के लिए और राष्ट्रपति शासन बढ़ाया जाए. जिसके बाद इसे लोकसभा में मंजूरी मिल गई. 3 जुलाई 2019 से 6 महीने का वक्त शुरू हो जाएगा.
लोकसभा में अमित शाह ने कहा, 'हमने चुनाव में खून की नदियां बहती देखी हैं लेकिन कश्मीर में पंचायत और लोकसभा के चुनाव शांति के माहौल में हुए. आपको नियंत्रण की स्थिति पसंद नहीं आती क्योंकि आपका और हमारा नजरिया अलग है. जिनके मन में कश्मीर में आग लगाने की मंशा है, अलगाववाद की मंशा है, उनके मन में भय है. यह रहना चाहिए और बढ़ेगा भी.' शाह ने कहा कि चुनाव आयोग जब कहेगा हम चुनाव करा लेंगे.'