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पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा बोले, मनमोहन समेत पूरी UPA कैबिनेट में सभी थे कन्फ्यूज

पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने दिल्ली की एक अदालत में कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कैबिनेट के सदस्य स्वार्थ की वजह से पैदा किए गए कन्फ्यूजन में थे. उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़ी दूरसंचार मंत्रालय की नीतियों के बारे में यह बात कही.

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ए राजा (फाइल फोटो)
ए राजा (फाइल फोटो)

पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने दिल्ली की एक अदालत में कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कैबिनेट के सदस्य स्वार्थ की वजह से पैदा किए गए कन्फ्यूजन में थे. उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़ी दूरसंचार मंत्रालय की नीतियों के बारे में यह बात कही.

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2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में चल रही सुनवाई में अपना बचाव करने के लिए गवाह के रूप में पेश ए. राजा ने अदालत से कहा कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ कई बार विचार-विमर्श किया था और स्पेक्ट्रम का आवंटन और लाइसेंस जारी करने से संबंधित कानूनी ढांचे तथा नीति के संबंध में उन्हें अवगत कराया था.

राजा इस मामले में आरोपी हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री से कहा था कि एक कार्टल बल था, जो प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर टेली-डेंसिटी को बढ़ावा देने और देश में शुल्कों में कमी लाने के लिए दूरसंचार विभाग के वैध प्रयासों को रोकना चाहता था. राजा ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी से कहा, 'मैंने (प्रधानमंत्री से) यह खुलासा भी किया कि किस प्रकार कानूनी एवं अन्य तरीके से मुझ पर दबाव था, ताकि मुझे उन प्रयासों से रोका जा सके. प्रधानमंत्री ने मुझसे कहा कि उन्हें पत्र मिला था (राजा द्वारा नवंबर 2007 में भेजा गया पत्र) और उस पर पीएमओ पर विस्तार से चर्चा की गई थी.'

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राजा ने कहा, 'मैंने एक फोल्डर में संबंधित दस्तावेज प्रधानमंत्री को सौंपा.' उन्होंने कहा कि कैबिनेट के सदस्य भी पूरी तरह भ्रम में हैं, जो निहित स्वार्थों द्वारा पैदा की गई थी और उन्होंने मुझे एक पत्र दिया, जो तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कमलनाथ द्वारा लिखा गया था और प्रधानमंत्री को संबोधित था. जिसमें वही मुद्दे उठाए गए थे और इन मुद्दों पर मंत्रियों का समूह गठित किए जाने की सलाह दी गई थी.

राजा की गवाही बुधवार को भी जारी रहेगी. उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि उन्होंने महसूस किया कि प्रधानमंत्री व पीएमओ को निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा पूरी तरह से गुमराह किया गया था. उन्होंने कहा, 'संसद में भी निहित स्वार्थों के इशारे पर सांसदों द्वारा भ्रम पैदा करने वाले सवाल पूछे गए. इसलिए, मैंने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और प्रधानमंत्री को उसी दिन (दो नवंबर 2007) जवाब दिया.

राजा ने अदालत से कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ विचार'विमर्श के दौरान उन्होंने अवगत कराया था कि उन आवेदकों को समाहित करने के लिए पर्याप्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा, जिन्होंने 25 सितंबर 2007 तक 2जी के लिए आवेदन किया था. उन्होंने कहा, 'उसके बाद प्रधानमंत्री ने मुझे प्रणब मुखर्जी के साथ विचार-विमर्श करने को कहा, जो उस समय विदेश मंत्री थे और स्पेक्ट्रम के संबंध में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने मुखर्जी से मुलाकात की थी और उन्हें नीतियों, स्पेक्ट्रम की उपलब्धता और डीओटी के इरादों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

अदालत ने सुनवाई के दौरान लोकसभा सचिवालय के संयुक्त निदेशक जेबीएस रावत और रंजन खन्ना के बयान भी दर्ज किए. खन्ना दिसंबर, 2010 से 15 मई, 2014 तक उस समय संचार एवं आईटी मंत्री कपिल सिब्बल के निजी सचिव थे.

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