प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस उम्मीद के साथ ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए चार दिन की डरबन यात्रा पर रवाना हुए कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं की बैठक में वैश्विक वृद्धि के साथ साथ वैश्विक, राजनीतिक एवं आर्थिक प्रशासन संबंधी सुधारों को गति देने के प्रयासों पर चर्चा होगी.
प्रधानमंत्री के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी गया है जिसमें वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा भी शामिल हैं.
मनमोहन 26 और 27 मार्च को पांच राष्ट्रों के सम्मेलन में शामिल होंगे जब वैश्विक दीर्घ आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने और आधारभूत संरचना तथा सतत विकास को बढ़ावा देने के के लिए तंत्रों और कदमों पर भी चर्चा होगी.
रवाना होने से पहले एक बयान में मनमोहन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात होगी. उस दौरान दोनों नेता इस बात पर चर्चा करेंगे कि भारत और चीन अपने संबंधों की सकारात्मकता को बरकरार रखते हुए अपने अति महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत कैसे बना सकते हैं. उम्मीद है कि अफ्रीकी धरती पर हो रहे इस पहले ब्रिक्स सम्मेलन में बुनियादी संरचना और विकास परियोजनाओं को पूरा करने के उद्देश्य से एक विकास बैंक शुरू किया जाएगा. इस बैंक की स्थापना का विचार पिछले साल भारत ने उस समय दिया था जब वह ब्रिक्स का अध्यक्ष था और चीन ने इस विचार का भरपूर समर्थन किया था.
हालांकि अपने बयान में मनमोहन ने इस ब्रिक्स बैंक का कोई उल्लेख नहीं किया.
ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों की कल डरबन में बैठक होगी जिसमें बैंक की स्थापना की योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा.
अपने बयान में मनमोहन ने कहा कि डरबन शिखर सम्मेलन ब्रिक्स देशों को विविध विषयों पर सलाह और समन्वय का उपयोगी और सामयिक अवसर प्रदान करेगा.
उन्होंने कहा, ‘हम वैश्विक प्रगति को रफ्तार देने और बृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के साथ साथ बुनियादी ढांचे और सतत विकास को बढ़ावा देने के तंत्र और उपायों पर विचार करेंगे.’
उन्होंने विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे ब्रिटन वुड्स संस्थानों से विकसित देशों को अधिक कोटा दिए जाने के संदर्भ में कहा, ‘भारत वैश्विक राजनीतिक एवं आर्थिक प्रशासन संस्थानों में सुधारों की गति को तेज करने की अपील करेगा. यह बहुत जरूरी है कि ब्रिक्स देश वैश्विक शांति और सुरक्षा को प्रभावित करने वाले घटनाक्रमों पर एक साथ मिलकर गंभीरता से विचार करें.’
प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि अफ्रीकी धरती पर यह पहला ब्रिक्स सम्मेलन होगा. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स और अफ्रीका के बीच ‘विकास, एकीकरण एवं औद्योगीकरण के लिए भागीदारी’ डरबन शिखर सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण थीम होगी. अफ्रीका के साथ भारत के दीर्घकालीन और करीबी संबंधों तथा महाद्वीप के साथ बढ़ती आर्थिक साझेदारी का हवाला देते हुए मनमोहन ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि ब्रिक्स नेता आपस में उपयोगी वार्ता और अपने संबंधों पर पुनर्विचार करेंगे तथा इस बैठक में कई प्रतिष्ठित अफ्रीकी नेता भी शामिल होंगे.
उन्होंने कहा, ‘मैं अफ्रीका में समावेशी विकास और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमारे समान हितों को आगे बढ़ाने के लिए अडिग साझेदार के रूप में मजबूत एवं स्थाई प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करता हूं.’ मनमोहन ने कहा कि पिछले कुछ सालों में ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक प्रभावी स्वर के रूप में उभरा है. वार्षिक शिखर सम्मेलनों और क्षेत्र विशिष्ट बैठकों के जरिए इसके सदस्यों के बीच उत्पन्न घनिष्ठ समन्वय के चलते यह मंच अधिक प्रभावी तौर पर अपने हितों को रखने में सफल हुआ है.
ब्रिक्स के सदस्य देश क्षेत्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए एक विशष्ट तंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और खासकर विकासशील देशों के हितों के मामले में.
प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रिक्स के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत को पिछले साल मार्च में नयी दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन में स्वीकार किए गए महत्वाकांक्षी एजेंडे को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने में अपने सहयोगियों का भरपूर समर्थन मिला.
मनमोहन ने कहा, ‘डरबन शिखर सम्मेलन उन पहलों पर हमें आगे प्रगति करने का मौका प्रदान करता है जिन्हें हमने ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को गहरा करने और हमारी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए दिल्ली में शुरू किया था. मुझे डरबन में हमारे लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए नए विचारों पर चर्चा की उम्मीद है.’ प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन से इतर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित अन्य नेताओं के साथ भी द्विपक्षीय बैठक करेंगे. पुतिन के साथ मुलाकात में पिछले साल दिसंबर में सफल बैठक के बाद भारत-रूस संबंधों की प्रगति पर चर्चा होगी.
मनमोहन ने कहा, ‘मैं दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा तथा ब्राजील के राष्ट्रपति डिल्मा रौसेफ से भी मुलाकात की उम्मीद करता हूं.’