scorecardresearch
 

रिटायर होंगे मनमोहन, बोले-'विनाशकारी होगा कत्लेआम करवाने वाले नरेंद्र मोदी को PM बनाना'

मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरी पारी नहीं खेलेंगे. अपने इस्तीफे की अटकलों के बीच शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस के नए पीएम उम्मीदवार को जिम्मेदारी सौंपने को तैयार हैं. 

Advertisement
X
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के तौर पर तीसरी पारी नहीं खेलेंगे. अपने इस्तीफे की अटकलों के बीच शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस के नए पीएम उम्मीदवार को जिम्मेदारी सौंपने को तैयार हैं.

Advertisement

मनमोहन ने बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर उनकी दुखती रग के हवाले से वार भी किया. मोदी और राहुल के मुकाबले पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'अहमदाबाद की सड़कों पर मास मर्डर कराने वाले को प्रधानमंत्री बनाना देश के लिए विध्वंसकारी होगा.'

क्या मोदी का 'कांग्रेस-मुक्त भारत' का सपना कभी पूरा होगा,पूछे जाने पर मनमोहन ने कहा कि मैं गंभीरता  से यह मानता हूं कि मिस्टर मोदी की यह बात कभी पूरी नहीं होने वाली.

पीएम उम्मीदवार के नाम के ऐलान पर पूछे जाने पर मनमोहन ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पहले ही कह चुकी हैं कि समय आने पर पीएम उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया जाएगा. मनमोहन ने माना कि उनकी सरकार नौकरियां पैदा करने और महंगाई रोकने में नाकाम रहीं. लेकिन आज भी अपने संबोधन और जवाबों में प्रधानमंत्री लचर नजर आए. उनकी बॉडी लैंग्वेज में न ही कोई उत्साह था और न ही अपनी सरकार के डिफेंस में कोई ठोस तर्क.

Advertisement

अरुण जेटली ने एक दिन पहले जो पांच सवाल मनमोहन के लिए रखे थे, उनमें से कुछ को पत्रकारों ने अपनी ओर से ही पूछ लिया.  अपने काम को मनमोहन ने मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से अच्छा बताया. उन्होंने कहा कि जितना अच्छा वह कर सकते थे, उन्होंने किया है और इतिहासकार ही उनके काम का आकलन करेंगे.

सवाल: यूपीए-1 से यूपीए-2 तक करप्शन के कई मामले सामने आए. आपको नहीं लगता कि आपकी मिस्टर क्लीन की इमेज दागदार हुई, और इन्हीं सब वजहों से आम आदमी पार्टी ने जन्म लिया?

प्रधानमंत्री: जहां तक भ्रष्टाचार के आरोपों की बात हैं, उनमें से ज्यादातर यूपीए के पहले कार्यकाल के समय लगे. कोयला घोटाला और 2 जी के आरोप भी.' कोल ब्लॉक या 2जी अलोकेशन में अनियमितता के आरोप भी यूपीए-1 के समय लगे. उसके बाद हम चुनावों में गए और अपने प्रदर्शन के दम पर चुनाव जीता. लोगों ने हमें जनादेश दिया. इसलिए ये जो मुद्दे जिन्हें समय-समय पर सीएजी, कोर्ट या मीडिया ने उठाया है. ये याद रखना चाहिए कि ये यूपीए-1 के दौरान के हैं. इस देश के लोगों ने करप्शन के उन आरोपों पर ध्यान नहीं दिया. कॉमनवेल्थ गेम्स, 2जी, कोल इन सबने सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया. क्या कोई और तरीका था. मैं दुखी महसूस करता हूं. मैं ही था, जिसने जोर दिया था कि स्पेक्ट्रम आवंटन को पारदर्शी और निष्पक्ष होना चाहिए. मैंने ही कोल ब्लॉक की बात कही थी. विपक्ष के अपने स्वार्थ हैं. मीडिया उनके हाथों में कई बार खेल जाता है. इसलिए मेरे पास हर किस्म का यकीन है कि जब इस वक्त का इतिहास लिखा जाएगा तो हम बिना दाग के निकलेंगे. कुछ गड़बड़ियां हुई हैं. मगर इन्हें सीएजी और मीडिया द्वारा बहुत बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया है.

Advertisement

सवाल: आपने कहा कि आप तीसरी पारी नहीं खेलेंगे. यूपीए की सरकार बनने पर भी. तो आपका आगे का राजनीतिक रोल क्या होगा?
प्रधानमंत्री: मैंने संकेत कर दिया है कि मैं तीसरे टर्म के लिए पीएम कैंडिडेट होने नहीं जा रहा हूं. राहुल गांधी का जबरदस्त रोल है और पीएम कैंडिडेट के लिए उन्हें नॉमिनेट किया जाना चाहिए. सही समय पर ऐसा किया जाएगा.

सवाल: पिछले 9-10 सालों में कभी ऐसा मुश्किल वक्त आया, जब आपको लगा हो कि इस्तीफा दे देना चाहिए?
प्रधानमंत्री: नहीं ऐसा कभी नहीं लगा. मुझे अपने काम में मजा आया. पूरी ईमानदारी और एकाग्रता के साथ काम किया और बिना किसी डर या फेवर के किया.

सवाल: विधानसभा चुनावों में हार का इल्जाम महंगाई पर मढ़ा गया. क्या इससे तकलीफ होती है कि सब इल्जाम केंद्र सरकार पर लगा दिया गया. और डीजल की कीमतों में इजाफे के पैटर्न पर क्या कहेंगे?
प्रधानमंत्री: ये सही फोरम नहीं है सब्सिडी पर बात करने के लिए. पर मैं ईमानदारी से कहूंगा कि महंगाई एक वजह रही कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की. मैं पहले भी बता चुका हूं कि महंगाई की वजहें हमारे कंट्रोल के बाहर थीं. अंतरराष्ट्रीय कारक थे, ईंधन की कीमतों में इजाफा था.
और मुझे लगता है कि हमने समाज के गरीब तबके को महंगाई से बचाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं. अनाज और दूसरी जरूरी चीजों का वितरण ढांचा दुरुस्त किया गया है. मनरेगा और दूसरी रोजगार स्कीम के जरिए हमने किसान और मजदूर को सुरक्षा मुहैया कराई है. इन्हें दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए.

Advertisement

सवाल: प्रधानमंत्री जी, आपने मेनिफेस्टो में वादा किया था कि सच्चर कमेटी रिपोर्ट लागू करेंगे. आपकी माइनॉरिटी को लेकर शुरू प्रोग्राम जमीन तक क्यों नहीं पहुंच पाते हैं?
प्रधानमंत्री:
हमने काफी काम किया है कमेटी रिपोर्ट लागू करने में. मुझे दुख है कि ये तमाम काम अवाम तक नहीं पहुंच सका. ये भी ठीक है कि कुछ ऐसी बातें हैं जो अभी करनी बाकी हैं. कुछ कोर्ट्स में पड़ी हैं. कुछ और मुश्किलें आई हैं. जिसकी वजह से और चीजें लागू नहीं की जा सकीं. जहां तक हमारी सरकार का ताल्लुक है. अल्पसंख्यकों के लिए छात्रवृत्ति बढ़ाई गई है. स्किल बढ़ाने के लिए अल्पसंख्यक बहुत राज्यों में कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. पर्याप्त काम किया गया है. मगर और भी किया जा सकता है.

सवाल: पिछले 10 वर्षों में आप पर सबसे ज्यादा चुप रहने के आरोप लगे हैं. आप सही समय पर राजनीतिक जवाब नहीं देते रहे हैं. आपको लगता है कि आप कुछ ऐसे मौकों पर भी चुप रहे जब आपको बोलना चाहिए था?
प्रधानमंत्री: जहां तक बोलने का सवाल है. जब भी जरूरत पड़ी है. पार्टी फोरम में मैं जरूर बोलता रहा हूं और आगे भी बोलता रहूंगा. मुस्कुरा दिए यह कहकर चार महीने बाद चुनाव हैं. क्या कुछ और सुधार किए जा सकते हैं. क्या ये आपकी प्राथमिकता हैं. ये एक इवेंट नहीं प्रोसेस हैं. जब तक हम सरकार में हैं सुधार जारी रहेंगे, जहां भी इनकी गुंजाइश और जरूरत है.

Advertisement

सवाल: वीरभद्र सिंह पर अरुण जेटली ने जो आरोप लगाए हैं, उन पर क्या कहेंगे?
प्रधानमंत्री: मुझे अभी इस पर दिमाग लगाने का समय नहीं मिला है. मैंने कुछ अखबारों में इन आरोपों के बारे में पढ़ा है. अभी मैं इस पर कमेंट करने की स्थिति में नहीं हूं.

सवाल: क्या बीते कुछ सालों में आपने अपने भीतर कुछ बदलाव महसूस किए हैं?
प्रधानमंत्री: मैं वही आदमी हूं, जो 9 साल पहले था. मुझमें कोई बदलाव नहीं आया है. मैंने पूरे निष्ठा-समर्पण के साथ काम किया है. इस दौरान कभी अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने का काम नहीं किया.

सवाल: मौजूदा दौर में भारत-अमेरिका संबंधों पर आपकी राय?
प्रधानमंत्री: हम भारत-अमेरिका संबंधों को सबसे ज्यादा महत्व देते हैं. अभी हाल में कुछ मुश्किलें आई हैं. मगर मेरा पूरी गंभीरता के साथ मानना है कि ये छोटी-मोटी चीजें हैं और डिप्लोमेसी के जरिए इन्हें सुलझाया जा सकता है.

सवाल: पूर्वोत्तर के राज्यों की सीमाओं पर बाड़ लगाने के संबंध में? और पूर्वोत्तर राज्यों में गैंडों की हत्या के संबंध में?
प्रधानमंत्री: ये सही है. बाड़बंदी के मामलों में कुछ दिक्कतें आई हैं. भौगोलिक दिक्कतें हैं. गैंडों की हत्या के मामले में हर तरह का काम किया जाना चाहिए.

सवाल: अब लीडर के नाम पर वोट पड़ रहे हैं. क्या आपको लगता है कि हमारे देश में भी राष्ट्रपति सिस्टम होना चाहिए ताकि गठबंधन के दबाव न झेलने पड़ें?
प्रधानमंत्री: मैंने इस बारे में सोचा नहीं है गहराई से. मेरी शुरुआती प्रतिक्रिया है कि संसदीय व्यवस्था भारत की जटिल और बहुलक रचना के लिहाज से बेहतर है. प्रेसिडेंट सिस्टम बेहतर नहीं होगा.

Advertisement

सवाल: अपने दागी कैबिनेट मंत्रियों पर ही आप कार्रवाई नहीं कर पाए?
प्रधानमंत्री: इतिहास मेरे प्रति ज्यादा दयालु होगा समकालीन मीडिया और विपक्ष की तुलना में. हालात और गठबंधन की मजबूरियों के मद्देनजर मैंने बेस्ट किया है.

प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं और राहुल गांधी को बेटन सौंपने की तैयारी है. क्या मोदी और राहुल का मुकाबला बराबरी का होगा?
प्रधानमंत्री: मुझे पूरा यकीन है कि अगला प्रधानमंत्री यूपीए गठबंधन का होगा. अहमदाबाद की सड़कों पर जनसंहार कराने वाले शख्स को देश का प्रधानमंत्री बनाना विध्वंसकारी होगा.

सवाल: वित्त मंत्री के रूप में देश आपकी आर्थिक उदारीकरण की नीतियों को आज भी याद करता है. पीएम के रूप में आपकी विरासत को देश कैसे याद करेगा? 10 सालों में क्या मिस किया आपने?
प्रधानमंत्री: जितना अच्छा कर सकता था वह किया. इतिहासकार तय करेंगे कि मैं कितना सफल रहा. मेरे 9 साल के कार्यकाल में जो हुआ, वह एनडीए के 6 साल के कार्यकाल के मुकाबले बहुत बेहतर रहा.

सवाल: क्या आपको लगता है कि पार्टी में सत्ता के दो केंद्र की व्यवस्था कारगर रही?
प्रधानमंत्री: पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री, ये व्यवस्था बहुत शानदार ढंग से चली है. मैंने अपने 10 साल बिना किसी मुश्किल के पूरे किए. मुझे पार्टी अध्यक्ष की तरफ से कोई दिक्कत नहीं आई. मिसेज गांधी का सपोर्ट अहम रहा कई जटिल मुद्दों को सुलझाने में.

Advertisement

सवाल: आप अपने लंबे कार्यकाल के दौरान एक बार भी पाकिस्तान नहीं जा पाए?
प्रधानमंत्री: मैं निश्चित तौर पर जाना चाहूंगा. मैं पाकिस्तान के गांव में ही पैदा हुआ जो पश्चिमी पंजाब का हिस्सा है. मगर प्रधानमंत्री के तौर पर मैं पाकिस्तान तभी जा सकता हूं जब हालात दुरुस्त हों बेहतर नतीजों के लिए. कई बार इस बारे में सोचा, मगर आखिर में लगा कि अभी सही मौका नहीं है. मुझे अब भी उम्मीद है कि पीएम का पद छोड़ने से पहले मैं वहां जा पाऊंगा.

सवाल: आम आदमी पार्टी के उभार पर क्या कहेंगे आप? बिजली कंपनियों के ऑडिट पर क्या कहेंगे?
प्रधानमंत्री: भारत के लोगों ने दिल्ली में आप पार्टी पर यकीन जताया है. हमें लोकतांत्रिक तरीकों की इज्जत करना चाहिए. वक्त ही बताएगा कि ये इकॉनमी और राजनीति की चुनौतियों को झेल पाएगा या नहीं. अभी तो बस एक हफ्ता ही हुआ है.

सवाल: बार बार आप राहुल गांधी को सरकार में आने का न्योता देते हैं. वह मना कर देते हैं. आपको तकलीफ नहीं होती?
प्रधानमंत्री: मुझे हमेशा लगा कि अगर राहुल गांधी सरकार का हिस्सा होते तो सरकार ज्यादा मजबूत होती. मगर राहुल को लगता है कि संगठन को उनकी ज्यादा जरूरत है और मैं इससे सहमत हूं.

यह मेरा व्यू नहीं है. अगर आपको लगता है कि लोगों की यह सोच है. तो मैं क्या कर सकता हूं. इतिहासकार तय करेंगे कि मेरी कमजोरियां और मजबूती क्या हैं. ग्लोबल स्लो डाउन की वजह से हालात मुश्किल थे. मगर हमने बहुत अच्छा किया है.

 

Advertisement
Advertisement