कोयला घोटाला मामला मनमोहन सरकार के लिए गले की हड्डी बन गया है. इसमें मनमोहन सरकार बुरी तरह से फंसती दिख रही है. इस मामले मे जबर्दस्त मोड़ तब आया जब प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस बात को कबूल कर लिया कि कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को कोल ब्लॉक के आवंटन की मंजूरी प्रधानमंत्री ने ही साल 2005 में दी थी. मजेदार बात यह है कि जहां एक ओर हिंडाल्को को आवंटित कोल ब्लॉक सीबीआई जोर देकर अवैध बता रही है वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री का कहना है कि हिंडाल्कों को कोल ब्लॉक के आवंटन में कुछ भी गलत नहीं हुआ है.
पीएमओ ने कुमार मंगलम बिड़ला के नेतृत्व वाले हिंडाल्को सहित एक संयुक्त उपक्रम को किये गए कोयला ब्लाक आवंटन में किसी तरह के अपराध से इनकार किया. प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह स्पष्ट किया कि सिंह ‘सक्षम प्राधिकार’ थे, जिन्होंने वर्ष 2005 में कोयला मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्वीकार किया कि आवंटन को लेकर एक अक्तूबर 2005 वाला अंतिम निर्णय पड़ताल समिति की सिफारिश से ‘अलग’ था. प्रधानमंत्री कार्यालय ने सिलसिलेवार घटनाक्रम का ब्योरा जारी किया जिसका आशय था कि प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित किये गए मानदंडों में बिड़ला और ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा पक्ष रखे जाने के चलते नरमी बरती गई थी.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मुद्दे पर हंगामे के बीच जारी एक बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि इस संबंध में किया गया अंतिम निर्णय पूरी तरह से उचित था और यह उनके समक्ष रखे गए मामले से संबंधित गुण दोष रिपीट गुण दोष के आधार पर किया गया.’
प्रधानमंत्री कार्यालय ने हिंडाल्कों को कोल ब्लॉक के आवंटन को सही ठहराते हुए इसे पूरी तरह उचित बताया है. पीएमओ ने इस मामले में किसी भी गड़बड़ी को खारिज करते हुए एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री के सामने पेश किये गए मामले के गुण-दोष और ओडिशा सरकार की तलबिरा-२ कोयला खण्ड हिंडाल्को को देने की सिफारिश के आधार पर कोयला मंत्रालय ने यह फैसला किया था. सिफारिश में कहा गया था कि इससे रोजगार का सृजन होगा.
बयान में कहा गया है कि आवंटन, जांच के निष्कर्ष पर निर्भर होगा और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो-सीबीआई के जांच जारी रखने और नई सूचना प्राप्त करने पर कोई रोक नहीं है. इस बीच, ओडिशा सरकार ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के उस कदम को सही ठहराया है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर हिंडाल्को को कोयला खण्ड का आवंटन करने को कहा था.
गौरतलब है कि सीबीआई ने चार दिन पहले आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पारेख ने कहा है कि यदि वह षड्यंत्र के आरोपी थे तो प्रधानमंत्री को भी एक आरोपी बनाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने इस संबंध में संशोधित निर्णय को मंजूरी दी थी. इस पर भाजपा ने प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की मांग कर दी.