पड़ोसी ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिन परिस्थितियों में करगिल युद्ध हुआ था उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है. हम पाकिस्तान से दोस्ती चाहते थे लेकिन उसने दुश्मनी निभाई और हमारी पीठ में छुरा घोंपा. लेकिन इसके बाद भारत के पराक्रम को पूरी दुनिया ने देखा.
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गांधी जी के मंत्र का जिक्र
पीएम ने कहा कि करगिल युद्ध के बाद अटल जी ने देश को गांधी जी के एक मंत्र की याद दिलाई थी. महात्मा गांधी का मंत्र था कि यदि किसी को कभी कोई दुविधा हो कि उसे क्या करना चाहिए, क्या नहीं तो उसे भारत के सबसे गरीब व्यक्ति का ख्याल करना चाहिए. उसे ये सोचना चाहिए कि जो वो करने जा रहा है उससे उस व्यक्ति की भलाई होगी या नहीं. गांधी जी के इस विचार से आगे बढ़कर अटल जी ने ये कहा था.
करगिल युद्ध ने हमें दूसरा मंत्र दिया
इसके बाद पीएम के मन की बात कार्यक्रम में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का संदेश सुनाई दिया. इस संबोधन में अटल बिहारी वाजपेयी कहते हैं, "करगिल युद्ध ने हमें एक दूसरा मंत्र दिया है, कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले हम ये सोचें कि क्या ये हमारा ये कदम उस सैनिक के सम्मान के अनुरूप है जिसने उन दुर्गम पहाड़ियों में अपने प्राणों की आहूति दी थी."
वाजपेयी जी के संदेश का अर्थ समझें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये वक्त की मांग है कि वाजपेयी जी के इस संदेश का मर्म समझा जाए और उस पर अमल किया जाए.
पीएम मोदी ने कहा कि युद्ध की परिस्थिति में हम जो बात कहते हैं करते हैं उसका सीमा पर डटे सैनिक के मनोबल पर गहरा असर पड़ता है. ये बातें हमें नहीं भूलनी चाहिए. इसलिए हमारा आचार व्यवहार और हमारी वाणी ऐसी होनी चाहिए कि हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़े.