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जब दोस्‍तों संग मनाया वैलेंटाइन डे

वैलेंटाइन्‍स डे का नाम सुनकर आपको कई किस्‍से-कहानियां याद आते होंगे. ऐसी ही एक कहानी है कुलदीप की, जिसके इश्‍क की फिल्‍म में दोस्‍तों ने विलेन बनकर बैंड बजाई. जानें पूरा किस्‍सा...

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Valentines day
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वैलेंटाइन्‍स डे, इस दिन को मैंने अपनी पूरी लाइफ में बस ए‍क बार मनाया है क्‍योंकि दूसरी बार मनाने की नौबत मेरे दोस्‍तों ने नहीं छोड़ी. ये किस्‍सा आज से 8 साल पहले का है. मेरा नाम कुलवंत है, तब 10वीं क्‍लास में पढ़ता था. मेरे साथ एक शिल्‍पा नाम की लड़की भी पढ़ती थी जो मेरी पहले दोस्‍त कम गर्ल फ्रेंड होने का फील देती थी.

सबसे बड़ी बात तो ये थी कि वो मेरे क्‍लास की सबसे खूबसूरत लड़की थी जिस वजह पूरी की पूरी क्‍लास उसकी फैन थी. मेरे साथ के सारे दोस्‍त शिल्‍पा से बात करने का मौका तलाशते रहते थे.
पहले मैं भी शिल्‍पा को दूर से देखकर ही चैन की सांसे लेता था लेकिन मेरा लुक भी किसी हीरो से कम नहीं होने के चलते मेरी दोस्‍ती उससे जल्‍द हो गई. लेकिन ये कहानी ज्‍यादा दिन तक हिट नहीं रही जिसकी वजह मेरे दोस्‍त थे.

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हुआ यूं कि वैलेंटाइन डे के दिन मैं दोस्‍तों के साथ स्‍कूल की फील्‍ड में खेल रहा था तभी शिल्‍पा ने मुझे बुलाया और साथ चलने को कहा. मैंने उसे बोला एक घंटे के अंदर मिलता हूं क्‍योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरे दोस्‍तो को मेरे शिल्‍पा से मिलने की भनक भी लगे.

मैं अपनी प्‍लानिंग के हिसाब से दोस्‍तों को गोली देकर फील्‍ड से निकल गया. मैं चहकता हुआ अपना हाल ए दिल बताने शिल्‍पा के साथ बैठा ही था कि मेरा एक दोस्‍त रेस्‍टोरेंट में पहुंच गया. उसे देखकर तो बस यह लगा कि कैसे भी करके इसे दफा करूं. मैं यहां भी कामयाब रहा और जैसे-तैसे वो हम दोनों से मिलकर बर्गर खाकर चलता बना.

मैं अपने पूरे फॉर्म में आ गया और शिल्‍पा को सारी दिल की बातें बोल दीं. बस उसका जवाब आने ही वाला था कि मेरा दूसरा दोस्‍त जिसे फील्‍ड में छोड़कर आया था आ धमका. यही नहीं वो मुझसे मिला और 15 मिनट बाद जाते हुए बोल गया कि यार जो तूने मेरी शर्ट पहनी है वो मुझे घर भेज दे. ये सुनकर मेरा खून खौल गया. जैसे- तैसे करके वो गया तो पता चला दो दोस्‍त फिर आ पहुंचे और बोलते हैं अरे यार, तू यहां हैं मैं तेरे घर गया था वहां तुम मिले नहीं. मैंने पूछा क्‍यों गए थे ऐसा क्‍या काम था तुम्‍हें जो मेरे स्‍कूल से आधे घंटे के बाद ही तुम्‍हे याद अा गया तो बोला तूने जो पैंट दो दिन पहले ली थी वो चाहिए पहननी थी. मैं उसे घूरते हुए देख ही रहा था कि तभी बोल पड़ा अरे तूने तो वही पैंट पहनी है, चल कोई नहीं शाम को दे जाना.

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ये सुनकर तो शिल्‍पा का पारा भी सातवें आसमान पर था और जब तक मैं उसे कोई बोलता वो उठकर चली गई. बस जो नहीं गए वो थे मेरे दोस्‍त, जब तक मैं उन दोनों की धुनाई करता पता चला दोस्‍तों की पूरी फौज रेस्‍टारेंट के बाहर खड़ी थी. वो सब आ गए और सारा का सारा खाना भी चट कर गए.

इसके बाद तो मैंने उन सबको पूरे कॉलेज में दौड़ा-दौड़ाकर धुनाई की. लेकिन जब दूसरे दिन शिल्‍पा मिली तो उसने बात करना तो दूर देखा भी नहीं.

आज जब ये साेचता हूं तो हंस-हंसकर पेट दर्द हो जाता है. सबसे खास बात मेरी इश्‍क की फिल्‍म में विलेन बनने वाले मेरे दोस्‍त आज भी मेरे दोस्‍त हैं.

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