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EXCLUSIVE: अगस्ता से भी बड़े घोटाले की सुगबुगाहट, अब नेवी के जहाज खरीद में घ‍िरी यूपीए सरकार

यूपीए सरकार सत्ता में तो नहीं है लेकिन उसके कार्यकाल में लिए गए बड़े फैसलों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. नया मामला नेवी के जहाज की डील को लेकर है.

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यूपीए सरकार पर अब अगस्ता वेस्टलैंड डील से भी बड़े घोटाले के आरोप लग रहे हैं. 'आज तक' ने खुलासा किया है कि मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान नेवी के जहाजों की खरीद में सरकारी खजाने को बड़े स्तर पर चूना लगाया गया.

केंद्र सरकार ने इस डील के तहत इटली की कंपनी द्वारा डिलीवर किए गए दो नौसैनिक टैंकरों की खरीद मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं.

नेवी के लिए जहाज की खरीद में यह गड़बड़ी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे से भी बड़ा घोटाला हो सकता है, क्योंकि शुरुआती जानकारी के मुताबिक, तत्कालीन यूपीए सरकार ने इटली की कंपनी को विशेष छूट देते हुए इस डील को मंजूरी दी थी.

टैंकरों के सौदे को लेकर उठे बड़े सवाल-

1. यह मामला भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल आईएनएस दीपक और आईएनएस शक्ति के सौदे से जुड़ा हुआ है.

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2. इस सौदे को अंतिम रूप देने के लिए साल 2009 में यूपीए सरकार और इंटली की कंपनी के बीच हुआ समझौता जांच के दायरे में है.

3. यूपीए सरकार पर आरोप है कि उसने इटली के कंपनी को डील के लिए नियम से हटकर विशेष छूट दी थी.

4. बताया जाता है कि दोनों टैंकरों के निर्माण में मनमोहन सरकार ने इटली की कंपनी को घटिया किस्म के स्टील इस्तेमाल की छूट दी थी.

5. नेवी के एक अधिकारी ने टैंकरों में घटिया किस्म के स्टील इस्तेमाल किए जाने का मामला उठाते हुए साल 2009 में ही जांच की मांग की थी, लेकिन तब मामला ठंडा पड़ गया था.

6. यूपीए सरकार ने साल 2009 और 2011 में आईएनएस दीपक और आईएनएस शक्ति को इटली की कंपनी से खरीदा था.

7. जब इन टैंकरों की डील हुई थी, तब एके एंटनी रक्षा मंत्री थे.

8. जहाज बनाने वाली इतावली कंपनी पर आरोप हैं कि उसने हथियार बनाने वाले स्टील की जगह कमर्शि‍यल ग्रेड के स्टील का इस्तेमाल किया था. जबकि मनमोहन सरकार ने जानकारी होते हुए भी इसकी इजाजत दी थी.

9. साल 2010 में CAG ने भी इस डील की अलोचना करते हुए सवाल खड़े किए थे. संस्था ने सरकार पर इटली की कंपनी को फेवर करने का आरोप लगाया था.

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10. डील में गड़बड़झाला सामने आने के बाद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने जांच कराने के लिए आदेश दे दिए हैं.

गौरतलब है कि साल 2006 में भारत सरकार ने टैंकरों के सौदे के लिए टेंडर जारी किया था. जिसके बाद रूस, कोरिया और इटली की कंपनी ने सौदे के लिए टेंडर भरा. टेंडर के मुताबिक, सिर्फ रूस की कंपनी हथियारों में इस्तेमाल होने वाले स्टील से टैंकर निर्माण के लिए तैयार थी. जबकि अचानक नियमों को बदलाव कर 2009 में इटली की कंपनी को टेंडर जारी कर दिया गया.

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