रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रविवार को कहा कि 'वन रैंक, वन पेंशन' स्कीम के कार्यान्वयन से जुड़े कुछ छोटे मुद्दे हो सकते हैं जो समय के साथ अपने आप सुलझ जाएंगे.
पर्रिकर ने कहा, 'ओआरओपी को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है. आर्थिक आवश्यकताओं की भी पूर्ति कर ली गई है. कुछ छोटे मुद्दे शायद रह गए हैं. वे समय रहते अपने आप सुलझ जाएंगे.' उन्होंने कहा कि अधिकतर मुद्दों का समाधान कर लिया गया है. रक्षा मंत्री ने आगे कहा, 'क्या आपने कभी 100 फीसदी मांगों को पूरा होते देखा है जो सभी को संतुष्ट करें?'.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ऐलान किया कि सरकार द्वारा ओआरओपी की घोषणा की गई है और उसके तहत समय से पहले रिटायरमेंट लेने वाले जवानों को भी इसका फायदा मिलेगा. प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हुए पूर्व सैनिकों ने भूख हड़ताल को वापस ले लिया, लेकिन कहा कि जब तक सभी मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता तब तक उनका विरोध जारी रहेगा.
चार मुद्दों के समाधान की मांग
विरोध प्रदर्शन कर रहे एसोसिएशन के नेता मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिकों द्वारा उठाए गए उन चार मुद्दों के समाधान तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा, जिन्हें सरकार ने स्वीकार नहीं किया. इनमें से एक मुद्दा, पेंशन की हर दो साल में समीक्षा करना है, जिसे सरकार ने हर पांच साल में करने का ऐलान किया है.
इस बीच संसदीय मामलों के मंत्री एम वैंकेया नायडू ने कहा कि ओआरओपी के मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना करने का कांग्रेस का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने यह बात पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के इस बयान पर कही, जिसमें एंटनी ने केंद्र सरकार पर पिछली यूपीए सरकार की ओआरओपी योजना को कमजोर करने का आरोप लगाया था.
'सिवाय घोषणाओं के एंटनी ने क्या किया'
नायडू ने कहा कि रक्षा मंत्री के तौर पर एंटनी ने सिवाय चुनावों के दौरान ओआरओपी को लागू करने की घोषणा के अलावा कुछ नहीं किया. नायडू ने कांग्रेस द्वारा ओआरओपी की गंभीरता को न समझने की निंदा करते हुए कहा कि जब उन्होंने ओआरओपी का प्रस्ताव किया था तो इसका बजट 5000 करोड़ रुपये था जो अब मोदी सरकार ने बढ़ाकर आठ से 10,000 करोड़ रुपये कर दिया है.
वैंकेया नायडू ने कहा कि सरकार जवानों के बकाए को चार किश्तों में और शहीदों की विधवाओं के बकाए को एक बार में देगी. नायडू ने विरोध कर रहे पूर्व सैनिकों से भी अपील की वह मुद्दों को सुलझाने के लिए सरकार के साथ वार्ता करें.
सड़क का नाम बदलने में केंद्र की भूमिका नहीं
औरंगजेब रोड का नाम अब्दुल कलाम रोड किए जाने के मुद्दे पर नायडू ने कहा कि इस नाम परिवर्तन में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि यह निर्णय नई दिल्ली नगरपालिका परिषद द्वारा लिया गया है और इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकृति दी है.