जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल के रूप में मनोज सिन्हा की नियुक्ति कर दी गई है. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से सांसद रहे और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे मनोज सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद नेताओं में गिना जाता है. यही कारण रहा है कि जम्मू-कश्मीर जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र के लिए मनोज सिन्हा को चुना गया है.
मनोज सिन्हा को चुने जाने के ये मुख्य कारण रहे हैं...
• जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से एक राजनीतिक गैप है, उसे भरने के लिए एक राजनेता की नियुक्ति की जा रही है. पिछले एक साल से राज्य से ऐसा फीडबैक भी मिल रहा था.
• मनोज सिन्हा की छवि सौम्य भाषा में बोलने वाले नेता की रही है, यानी वह मीडिया में बयानबाजी नहीं देते हैं. कई बार सरकार के लिए जम्मू-कश्मीर के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक के बयान चिंता के विषय बने थे.
• उपराज्यपाल रहे जीसी मुर्मू और चीफ सेक्रेटरी के बीच कई मुद्दों को लेकर तनाव की खबरें भी थीं. ऐसे में बदलाव भी किया गया है.
• मनोज सिन्हा केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं और उनका कामकाज का तरीका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह को अच्छा लगा, यही कारण है कि उनपर भरोसा जताया गया है.
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• अनुच्छेद 370 को हटे एक साल हो गया है, ऐसे में राज्य में अब राजनीतिक हालात को सुधारने पर बल दिया जा रहा है. ऐसे में मनोज सिन्हा इस स्थान के लिए इसलिए भी सही माने गए क्योंकि उनका विवादों से काफी कम ही नाता रहा है.
• दूसरी ओर अब जीसी मुर्मू को दिल्ली लाया जा रहा है. अगस्त में कैग प्रमुख के पद से राजीव महर्षि रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में उनकी जगह जीसी मुर्मू को मिल सकती है.
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गौरतलब है कि मनोज सिन्हा 2014 में गाजीपुर से चुनाव जीते थे, जिसके बाद केंद्र सरकार में उनके पास दो मंत्रालय थे. पूर्वांचल से आने वाले मनोज सिन्हा 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे. 2017 में उनका नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे था.