दिल्ली में मुख्य निर्वाचन आयोग ने रविवार को कहा कि ईवीएम के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं कर सकता हैं. यहां तक कि निर्माण के दौरान भी इनसे हेरफेर नहीं की जा सकती. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता को लेकर विपक्ष के जोर-शोर से सवाल खड़ा करने पर आयोग ने बताया कि अपना विचार रखने के लिए उसने अक्सर पूछे जाने वाले सवालों की एक FAQ सूची सार्वजनिक की है.
हाल में आयोग ने मशीनों का बचाव करते हुए दो बयान जारी किये थे और मशीनों की विश्वसनीयता पर संदेह करने वालों के जवाब देने के लिए यह तीसरा FAQ प्रयास है.
FAQ में जिन प्रश्नों का उल्लेख है, उनमें पहला सवाल है : मशीन को हैक किया जा सकता है या नहीं? आयोग का जवाब है : नहीं. निर्वाचन आयोग ने बताया कि ईवीएम का एम1 मॉडल वर्ष 2006 तक निर्मित हुआ था और इसमें ऐसे सभी जरूरी तकनीक शामिल किये गये थे जिसे कुछ लोगों के दावों के विपरीत कोई हैक नहीं कर सकता था.
ईवीएम के एम2 मॉडल को वर्ष 2006 के बाद निर्मित किया गया था और वर्ष 2012 तक इसमें अतिरिक्त सुरक्षा सुविधाएं शामिल की गयी थीं.
चुनाव पैनल ने कहा, अब ईसीआई-ईवीएम कम्प्युटर संचालित नहीं हैं. ये ऐसी मशीन हैं जिन्हें ना तो इंटरनेट से और ना ही अन्य नेटवर्क से जोड़ा जाता है. इसलिए किसी रिमोट उपकरण से इसे हैक किये जाने की कोई संभावना नहीं है... साथ ही इसमें कोई फ्रिक्वेंसी रिसीवर या वायरलेस के लिये डिकोडर अथवा अन्य किसी गैर-ईवीएम यंत्र या उपकरण से जोड़ने के लिये कोई बाह्य हार्डवेयर पोर्ट नहीं है.
बहरहाल, आयोग ने ईवीएम निर्माताओं द्वारा इसमें हेरफेर की आशंका वाले सवालों को भी खारिज कर दिया. आयोग ने कहा, यह संभव नहीं है क्योंकि वर्ष 2006 से ईवीएम अलग अलग वर्ष में निर्मित की गयीं और अलग अलग राज्यों में भेजी गयीं. निर्माता -भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड ,बंगलौर (बीईएल) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद (ईसीआईएल) कई साल पहले यह नहीं जान सकती थीं कि किसी खास निर्वाचन क्षेत्र में कौन उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा और मतपत्र इकाई पर उम्मीदवारों का क्रम क्या होगा.
आयोग से यह पूछा गया कि आखिर अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों ने ईवीएम को क्यों नहीं अपनाया और कुछ ने इसका इस्तेमाल बंद क्यों कर दिया. इसके जवाब में आयोग ने कहा कि इन मशीनों के साथ दिक्कत इसलिए आयी क्योंकि इन देशों ने इन्हें कम्प्युटर नियंत्रित बनाया था और नेटवर्क से जोड़ा था जिसके चलते हैकिंग की आशंका बढ़ गयी थी। उनके संबंधित कानूनों में समुचित सुरक्षात्मक उपाय मौजूद नहीं थे. इसलिए उनकी अदालतों ने ईवीएम के इस्तेमाल रोक दिया.