तिब्बत में वार्षिक कैलाश मानसरोवर यात्रा से लौटने के दौरान नेपाल चीन सीमा पर फंसे सभी 47 भारतीयों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. वहीं दो हफ्ते पहले मरने वाले चार लोगों के शव को उनके घर भेज दिए गए है. अधिकारियों ने बताया कि नेपाल में स्थानीय आंदोलन के कारण भारतीय तीर्थयात्री तिब्बत के पुरंग में फंसे हुए थे.
सभी 47 यात्री सुरक्षित निकाले गए
33 तीर्थयात्रियों को आज भारतीय दूतावास की ओर से भेजे गए हेलिकाप्टर की मदद से सुरक्षित निकाल लिया गया जबकि 14 तीर्थयात्रियों को कल बचा लिया गया था. भारतीय दूतावास के प्रवक्ता शेरिंग डब्ल्यू शेरपा ने कहा कि सभी तीर्थयात्रियों को तिब्बत के पुरंग से पश्चिमी नेपाल के हिलसा ले जाया गया. इसके बाद वे वहां से नेपालगंज रवाना हो गए. वे सुरक्षित हैं.
सभी यात्री सुरक्षित
दूतावास सूत्रों ने बताया कि दो हफ्ते पहले मानसरोवर इलाके में मरने वाले चार तीर्थयात्रियों के शवों को भारत में उनके रिश्तेदारों के पास भेज दिया गया है. हालांकि इन मौतों और मौजूदा स्थिति के बीच कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि फंसे हुए सभी तीर्थयात्री सुरक्षित हैं. उन्हें नेपालगंज स्थित अस्पताल ले जाया गया है जहां भारतीय चिकित्सक उनका इलाज कर रहे हैं.
हेलिकाप्टर से निकाले गए यात्री
उन्होंने कहा कि दूतावास ने नेपाली सेना से रुस निर्मित एमआई 17 हेलिकाप्टर की व्यवस्था की थी. इस हेलिकाप्टर की व्यवस्था बीमार और वृद्ध 14 तीर्थयात्रियों को लाने के लिए की गई थी. हालांकि पर्वतीय क्षेत्र में खराब मौसम के कारण बचाव अभियान जारी नहीं रह सका. लोगों को सुरक्षित निकालने के काम को बहाल करने के लिए बुधवार को निजी एयरलायंस के दो हेलिकाप्टरों की व्यवस्था की गई थी. पर्वतीय क्षेत्र में मौसम बेहद खराब है इसलिए हवाई जहाज को ले जाना संभव नहीं था.
तीर्थयात्रियों को निकालने का काम पूरा
दूतावास ने आवश्यक मदद के लिए मुख्य जिला प्रशासक के साथ साथ गृह सचिव से संपर्क किया. दूतावास सूत्रों ने बताया कि तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालने का काम अब पूरा कर लिया गया है. जिस क्षेत्र में तीर्थयात्री फंसे हुए थे उस इलाके के ऊपरी क्षेत्र में होने के अतिरिक्त आंतरिक राजनैतिक उथल पुथल की वजह से वह बंद था. इसने बचाव कार्य को कठिन बना दिया था.