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कई क्षुद्रग्रह हो सकते हैं ब्रह्मांड में भारतीय छात्रों की खोज से जगी उम्मीद

ब्रह्मांड में क्षुद्रग्रहों की संख्या का अनुमान लगाना कठिन है. इसलिये कि नित नये ताराग्रहों के वजूद का पता लग रहा है.

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ब्रह्मांड में क्षुद्रग्रहों की संख्या का अनुमान लगाना कठिन है. इसलिये कि नित नये ताराग्रहों के वजूद का पता लग रहा है.

इस बार चार नये ऐसे ग्रहों का पता लगाया है भारतीयों ने जिनमें दो स्कूली छात्र हैं. देश के विभिन्न भागों में मई से अगस्त तक अखिल भारतीय क्षुद्रगह अनुसंधान अभियान चलाया गया जिसमें इन चार ताराग्रहों का पता लगा.

इन क्षुद्रग्रहों के नाम 2010 पीवी57 2010पीवी57 2010पीओ4 और 2010पीएल20 रखे गये हैं. इसके अलावा एक वच्र्युअल इम्पैक्टर 2010एनबी2 नजर में आया. ये ऐसे क्षुद्रग्रह हैं जिनकी धरती से टकराने की संभावना रहती है.

ब्रह्मांड में मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच क्षुद्रग्रहों का मुख्य स्थान है. वहां देखे गये ये ग्रह भावी खगोलीय अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं.

साइंस पापुलराइजेशन एसोसियेशन आफ कम्यूनिकेटर्स एण्ड एज्युकेशन :स्पेस : और अमेरिका स्थित अंतरराष्ट्रीय खगोलीय अनुसंधान सहयोग (आईएसएसी) ने पहली बार भारत में यह अभियान चलाया. इसमें दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी सहित देश के विभिन्न हिस्सों के 45 स्कूलों और संगठन ने हिस्सा लिया.

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आईएसएसी के निदेशक प्रोफेसर पेट्रिक मिलर के अनुसार ‘यह खोज नासा की नीअर.अर्थ आबजेक्ट (एनईओ) कार्यक्रम में योगदान देंगी. यह कार्यक्रम केलीफोर्निया के जेट प्रापल्सन लेबोरेटरी में धूमकेतु और क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करता है.

जिन दो भारतीय छात्रों ने नयी खोज की है वे रोहणी के रियान इंटरनेशनल स्कूल में 12वीं के छात्र अमनजोत सिंह और साहिल बधवा हैं. साहिल की प्रतिक्रिया थी ‘हमने 45 दिन कड़ा परिश्रम किया और जब हमने नये क्षुद्रगह देखे तो वह बेहद रोमांचक क्षण था. हालांकि हमें कुछ उम्मीद थी लेकिन जब हमने यह खोज की तो हम भौचक्के रह गये. ‘उसके सहपाठी विक्रांत ने कहा ‘यह उपलब्धि महान है.’ उनके अलावा स्पेस के वैज्ञानिक अधिकारी विक्रांत नारंग और उनके सहयोगियों ने पीयू57 और पीवी57 की खोज की.

नेहरू तारांमडल की निदेशक रत्नश्री ने इन चार छुद्रग्रहों का पता लगने को एक उपलब्धि बताते हुए अभियान में शामिल सभी लोगों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि विश्लेषणात्मक डेटा और उसके लिये उपकरण मुहैया कराने का अंतरराष्ट्रीय समूह का योगदान सराहनीय है.

स्पेस नोडल सेण्टर के छात्र पी झावेरी ए शाह और एम शास्त्री ने इसी कार्यक्रम के दौरान 19 जुलाई को धरती से टकराने की संभावना वाले इम्पैक्टर 2010 एनबी2 का पता लगाया था. ये छात्र वड़ोदरा के नवरचना स्कूल के हैं.

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