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डा.रेड्डी की मौत पर उठे कई सवाल

मुख्यमंत्री रेड्डी की मौत के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर रेड्डी को किसकी गलती का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा.

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आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की हेलिकॉप्टर हादसे में मौत के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री को किसकी गलती का खामियाजा अपनी जान देकर चुकाना पड़ा. आज तक उठा रहा है वो दस सवाल जो पहली नजर में सुरक्षा में चूक औऱ लापरवाही की कहानी कह रहे हैं.

इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर कैसे हुआ फेल?
मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी के हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के करीब 13 घंटे बाद आंध्रप्रदेश एविएशन के एक दावे ने रेड्डी की सलामती की उम्मीद जगा दी. एपी एविएशन ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका कम है क्योंकि अगर ऐसा होता तो हेलिकॉप्टर में लगा इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर एक खास फ्रिक्वेंसी पर सिग्नल जरूर भेजता लेकिन एवी एविएशन का ये दावा छलावा निकला. हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो चुका था लेकिन ऐसा कोई सिग्नल कभी नहीं मिला. सवाल ये कि हेलिकॉप्टर का इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमीटर आखिर क्यों काम नहीं कर रहा था. अगर इएलटी काम कर रहा होता तो हादसे की खबर फौरन मिल गई होती.

पर्सनल रिकवरी बेकन कहां था?
आम तौर पर हर हवाई सफर में पायलट के पास एक पर्सनल रिकवरी बेकन होता है. जो किसी हादसे की हालत में एक्टिव हो जाता है और जीपीएस के जरिए अपने लोकेशन की जानकारी दे देता है. लेकिन रेड्डी के हेलिकॉप्टर के हादसे के बाद पर्सनल रिकवरी बेकन ने भी कोई सिग्नल नहीं भेजा. तो क्या इस हेलिकॉप्टर के पायलट के पास पर्सनल रिकवरी बेकन था ही नहीं?

टेक ऑफ से पहले जांच क्यों नहीं?
अमूमन हर उड़ान के पहले हेलिकॉप्टर की पूरी तरह से जांच की जाती है कि कोई तकनीकी खराबी तो नहीं. लेकिन खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की उड़ान से पहले हेलिकॉप्टर की जांच नहीं की गई. आखिर वीआईपी सुरक्षा के साथ इतनी बड़ी लापरवाही क्यों?

सीएम के साथ रेग्युलर पायलट क्यों नहीं?
मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी को हैदराबाद के ओल्ड बेगमपेट हवाई अड्डे से लेकर उड़ान भरने वाले पायलट मुख्यमंत्री के रेगुलर पायलट नहीं थे. खराब मौसम में इरेगुलर पायलट के साथ उड़ान भरना कहीं मुख्यमंत्री की जिंदगी पर तो भारी नहीं पड़ गया.

बेल ने पहले भी दिया है धोखा!
हादसे के बाद सवाल हेलिकॉप्टर की क्षमता पर भी उठाए जा रहे हैं. बेल हेलिकॉप्टर पहले भी कई बार धोखा दे चुका है. स्पीकर जीएमसी बालायोगी बेल-206 पर सवार थे जब हादसा हुआ औऱ उनकी मौत हो गई. बेल-430 जिस पर मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी उड़ान भर रहे थे उसमें भी कई बार तकनीकी खराबी की समस्या आई है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या बेल हेलिकॉप्टर सुरक्षा के सारे पैमानों पर खरे उतरते हैं.

देर से क्यों शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन?
सुबह के 9 बजकर 35 मिनट के आसपास आखिरी बार मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर का संपर्क एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से हुआ. हेलिकॉप्टर का संपर्क कंट्रोलर से टूट जाने के तुरंत बाद प्रशासन को चौकस हो जाना चाहिए था लेकिन हैरानी की बात है कि मुख्यमंत्री के लापता हेलिकॉप्टर की तलाश दिन के करीब चार बजे से ही शुरू हो सकी. आखिर इतनी लेट-लतीफी क्यों?

पायलटों को नहीं था रास्ते का अंदाजा?
मुख्यमंत्री हेलिकॉप्टर रास्ते से भटक गया था और नल्लमला के जंगलों में एक पहाड़ की चोटी से जा टकराया. सवाल ये कि क्या पायलटों को एयर रूट की सही-सही जानकारी नहीं थी? या फिर हेलिकॉप्टर में ही आ गई थी कोई बड़ी खराबी?

नए चॉपर की मांग क्यों टाली गई?
आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए एक नए हेलिकॉप्टर की मांग एक साल पहले हुई थी लेकिन नया हेलिकॉप्टर अब तक तैयार नहीं हुआ है.  जाहिर है नए हेलिकॉप्टर की जरूरत को पूरा करने में ज्यादा वक्त लगाया गया। और यही लेट-लतीफी मुख्यमंत्री की जान पर भारी पड़ गई.

तलाशी में नाकाम क्यों?
मुख्यमंत्री के हेलिकॉप्टर के लापता होने के करीब 24 घंटे बाद जाकर मिला उनका सुराग. जबकि एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर से लेकर डोनियर और सुखोई जैसे बेहद आधुनिक एयरक्राफ्टर को तलाशी अभियान में लगाया गया था. इसरो के सैटेलाइट भी कोई सुराग नहीं जुटा पाए. ऐसे में इस वाकये ने हमारी सुरक्षा तैयारियों पर भी बड़ा खड़ा कर दिया है.

खराब मौसम में क्यो भरी उड़ान?
पिछले कई दिनों से आंध्रप्रदेश के इस इलाके में जबरदस्त बारिश हो रही थी और मौसम बेहद खराब था. फिर भी हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने की इजाजत दे दी गई. बेल हेलिकॉप्टर में बादल भरे आसमान में भी उड़ने की क्षमता होती है. ऐसे में ये सवाल बना हुआ है कि हेलिकॉप्टर अपने रास्ते से भटक कर हादसे का शिकार कैसे हो गया.

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