नक्सलियों ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा जिले में एक बस को विस्फोट से उड़ा दिया, जिसमें कम से कम 50 लोग मारे गये. मृतकों में 20 विशेष पुलिस अधिकारी शामिल हैं. यात्री बस सुकमा से दंतेवाडा जा रही थी. माओवादियों ने चिंगावरम गांव के निकट भूसारास और गदिरास के बीच बस को विस्फोट से उडाया.
रायपुर से करीब 450 किलोमीटर दूर किये गये इस हमले में नक्सलियों ने जिलेटिन की छड़ वाली विस्फोटक प्रणाली का इस्तेमाल किया. विस्फोट इतना जबर्दस्त था कि बस कई फुट दूर उछलकर चली गयी और क्षत विक्षत मानव अंग सड़क के किनारे पड़े नजर आये. यह हमला शाम करीब पौने पांच बजे किया गया. इस घटना में मानक नियमों के उल्लंघन की बात भी सामने आयी है.
मानकों के अनुसार पुलिसकर्मियों और विशेष पुलिस अधिकारियों को असैन्य वाहन में सफर करना प्रतिबंधित है. इस बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह ने 35 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है हालांकि विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) उत्थान कुमार बंसल ने मरने वालों की संख्या आशंका से कहीं अधिक होने की बात स्वीकारते हुए कहा कि बस पर 65 से 70 व्यक्तियों के सवार होने की क्षमता थी. बस पर सवार लोगों में पुलिसकर्मी और आम नागरिक शामिल थे. {mospagebreak}
रमण सिंह ने इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी चिदंबरम से बातचीत की है और मंगलवार को वह दिल्ली पहुंच रहे हैं. रमन सिंह ने बताया कि मारे गये लोगों में 11 विशेष पुलिस अधिकारी और 24 आम नागरिक हैं. इन घटना में 15 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 14 विशेष पुलिस अधिकारी और एक महिला है. उन्होंने बताया कि घायलों को सुकमा के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
रमन सिंह ने कहा कि वह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से इस मसले पर बातचीत के दौरान रणनीति बदलने पर विचार करने को कहेंगे. ‘मैं उनसे चर्चा करूंगा कि जिस हिसाब से नक्सलियों ने नागरिकों को मारना शुरू किया है, उस हिसाब से क्या तैयारी की जा सकती है.’
उन्होंने कहा कि जिस तरह आम नागरिकों, पंचायती राज के लोगों और पुसिलकर्मियों पर हमला किया जा रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि नक्सली बौखला गये हैं. माओवादी राज्य में जनता और सुरक्षाबलों का मनोबल तोड़ना चाह रहे हैं. यह पूछने पर कि क्या नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को सेना के हवाले करना चाहिए, सिंह ने कहा कि यह केन्द्र सरकार का विषय है. इन सभी मुद्दों पर प्रधानमंत्री से बातचीत की जाएगी. उन्होंने मारे गए नागरिकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये, मारे गये विशेष पुलिस अधिकारियों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये सहायता राशि देने का ऐलान किया. {mospagebreak}
उधर गृह सचिव जी के पिल्लै ने मंत्रालय के आला अधिकारियों की बैठक के बाद नयी दिल्ली में संवाददाताओं को बताया, ‘किसी ने भी माओवादियों को निर्दोष और निहत्थे लोगों की हत्या करने का अधिकार नहीं दिया है.’ पिल्लै ने कहा, ‘निहत्थे नागरिकों को निशाना बनाने की माओवादियों की यह प्रवृत्ति बरसों से देखने को मिल रही है.’
मरने वालों की संख्या के बारे में कुछ कहने से इनकार करते हुए पिल्लै ने कहा कि सात लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनमें से कुछ की हालत चिन्ताजनक है. जिस बस को नक्सलियों ने विस्फोट से उडाया, वह पूरी तरह नष्ट हो गयी है. बस का आगे का हिस्सा एक लोहे की गंेद की शक्ल में बदल गया है. बस से निकाले गये कई शव बुरी तरह झुलसे हुए थे.
इन्सास राइफलों सहित विशेष पुलिस अधिकारियों के शव, आम नागरिकों के शव, जूते-चप्पलें और जले हुए कपडे घटनास्थल पर पडे नजर आये. इससे पहले नक्सलियों ने छह अप्रैल को अब तक का सबसे घातक हमला करते हुए दंतेवाडा जिले के ही मुकराना के जंगलों में 76 सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी थी. आठ मई को नक्सलियों ने बीजापुर जिले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के सात जवानों की हत्या कर दी थी.