तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने माओवादियों से अपील की है कि वे हिंसा रोक कर सरकार से बात करें. ममता ने ‘संत्रास विरोधी मंच’ के तहत आयोजित अपनी रैली को संबोधित करते हुए कहा ‘शांति प्रक्रिया आज से ही शुरू कीजिए. बंगाल को पूरे देश के लिए एक राह दिखाने वाला बनने दीजिए. हिंसा और हत्याएं रोकिए. अगर आपको मेरे साथ कोई समस्या है, तो सामाजिक कार्यकर्ता जैसे मेधा पाटकर और स्वामी अग्निवेश इस मामले में आगे आ सकते हैं, लेकिन वार्ता शुरू होने दीजिए.’
ममता ने कहा ‘मैं आपसे वादा करती हूं कि जंगलमहल के विकास के लिए जो कुछ भी जरूरी होगा, मैं करूंगी, भले ही वह सड़कें, बिजली, स्कूल और कॉलेज जैसी चीजें हों. अगर जरूरी होगा, तो मैं यहां रेलवे फैक्टरी लगाने के बारे में विचार कर सकती हूं.’ मौत को गलत ठहराते हुए ममता ने दावा किया कि सामाजिक कार्यकर्ता अग्निवेश ने उन्हें सरकार से बातचीत करने के लिए राजी कर लिया था.
माओवाद प्रभावित लालगढ़ में रेल मंत्री ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘जो हुआ वह ठीक नहीं था. वह बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने वाले थे. हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अगर आप हिंसा और हत्याएं रोकने को तैयार हो जाते हैं तो बातचीत शुरू हो सकती है. संयुक्त अभियान भी वापस ले लेना चाहिए.’ {mospagebreak}
ममता ने कहा कि माओवादी समस्या का हल बातचीत, शांति और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘हमें बताइए कि कहां और कब आप बातचीत के लिए बैठना चाहते हैं. हमलोग शांति के लिए बातचीत करना चाहते हैं. हम लोकतंत्र की बहाली और आतंक मुक्त भारत चाहते हैं.’ माकपा पर आतंक से फायदा उठाने का आरोप लगते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं आपलोगों से हाथ जोड़कर कह रही हूं कि अब हत्याओं की राजनीति नहीं की जानी चाहिए. मैं मौत पर राजनीति नहीं चाहती हूं.’
ममता ने कहा, ‘अगर माकपा का आदमी मारा जाता है, वह एक परिवार से ताल्लुक रखता है. अगर एक माओवादी मरता है तो वह भी एक परिवार से संबंध रखता है और अगर तृणमूल का एक आदमी मरता है तो वह भी किसी परिवार का सदस्य होता है.’
अपनी भावुक अपील में ममता ने कहा, ‘अगर आप चाहें तो आप मुझे गालियां दे सकते हैं लेकिन आपको किसी की हत्या नहीं करने पर तैयार होना चाहिए. मुझे बताइए कि हत्या और हिंसा छोड़ने के लिए आप क्या चाहते हैं.’ {mospagebreak}
उन्होंने माओवादियों से रेल सेवा बाधित नहीं करने का आग्रह किया और कहा, ‘अगर ट्रेन सेवाएं रोज बाधित की गईं तो मैं काम कैसे करूंगी? कभी कुछ लोग आपके नाम पर यह करते हैं तो कभी आप ऐसा करते हैं.’ इस साल जनवरी में झाड़ग्राम में आयोजित अपनी रैली का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने इलाके में दो ट्रेनें शुरू की हैं.
रेल मंत्री ने कहा कि वह जानती हैं कि इलाके में बड़ी संख्या में बेरोजगार हैं. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो रोजगार मुहैया कराने के लिए वह इलाके में रेलवे फैक्ट्री की स्थापना पर विचार कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि वह केंद्र से आग्रह करेंगी कि वनवासियों और आदिवासियों को उनका अधिकार प्रदान करने वाला विधेयक लाया जाए. ममता ने कहा, ‘यह उनका जन्मसिद्ध अधिकार है.’
लोकसभा में पार्टी के केवल 19 सांसदों के होने की बात करते हुए रेल मंत्री ने कहा, ‘मैं अपनी सीमाए जानती हूं. केंद्र हमेशा हमारी नहीं सुनता लेकिन मेरे कामकाज में पूरी तरह पारदर्शिता है.’ भूमि अधिग्रहण का विरोध करते हुए ममता ने कहा कि रेल मंत्रालय की नीति है कि वह जबरन भूमि का अधिग्रहण नहीं करता.