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मराठा आरक्षण आंदोलन की आग के बीच PM मोदी से मिले CM फडणवीस

महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आरक्षण आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है और इसके हिंसक रूप धारण करता देख राज्य सरकार सचेत गई है और इसके समाधान को लेकर कोशिशों में जुटी है.

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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल)
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (फाइल)

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की और उनके साथ राज्य से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की. माना जा रहा है कि यह मुलाकात राज्य में जारी मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण हुई है.

मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने ट्वीट कर बताया कि भेंट के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री को महाराष्ट्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों के बारे में बताया. प्रधानमंत्री से उनकी यह भेंट ऐसे समय में हुई है जब महाराष्ट्र में मराठा सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को लेकर आंदोलन चला रहे हैं. आंदोलन हिंसक रूप भी लेता जा रहा है.

फडणवीस ने कल कहा था कि मराठाओं को आरक्षण देने के लिए जरुरी सभी संवैधानिधक बाध्यताएं नवंबर तक पूरी कर ली जाएंगी.

आरक्षण को लेकर जारी आंदोलन के बीच महाराष्ट्र के औरंगाबाद में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से जब आरक्षण के लिए मराठों के वर्तमान आंदोलन और अन्य समुदायों द्वारा इस तरह की मांग से जुड़े सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि यदि आरक्षण दे दिया जाता है तो भी फायदा नहीं है, क्योंकि नौकरियां नहीं हैं. बैंक में आईटी के कारण नौकरियां कम हुई हैं. सरकारी भर्ती रुकी हुई हैं. नौकरियां कहां हैं?

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इस पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा था कि गडकरी जी, आपने बिल्कुल सही सवाल पूछा है. हर भारतीय यह ही सवाल पूछ रहा है. आखिर नौकरियां कहां हैं?

इससे पहले मराठा आरक्षण विवाद के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछले हफ्ते पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई थी. बैठक में पार्टी के विधायक और वरिष्ठ नेता शामिल हुए.

महाराष्ट्र की 12 करोड़ आबादी का 30 फीसदी हिस्सा मराठा समुदाय का है. राज्य में पिछले कई दिन से चल रहे विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया है. उनकी प्रमुख मांगों में नौकरियों और शिक्षा में 16 फीसदी आरक्षण, कोपर्डी बलात्कार मामले के आरोपियों को मौत की सजा और एसएसटी कानून के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए उसमें संशोधन करना शामिल है.

आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान राज्य में अभी तक आधा दर्जन से ज्यादा लोग आत्महत्या कर चुके हैं. इसके अलावा लातूर जिले में 8 प्रदर्शनकारियों ने आत्मदाह की भी कोशिश की थी.

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