दिन शुक्रवार, जगह जेएनयू और मौका स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ में 'मार्चिंग विद् अ बिलियन' के लेखक उदय माहूरकर के साथ एक 'टॉक विद् ऑथर' का. स्टूडेंट्स के साथ बात करते हुए उदय ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ बिताए 30 साल याद करते हुए कहा कि 2002 के चुनाव शायद प्रधानमंत्री मोदी के जीवन में सबसे निर्णायक चुनाव थे, क्योंकि उनपर गोधरा दंगों की काली छाया थी. चुनाव जीतने के दो दिन बाद गांधीनगर में जब वो उनका इंटरव्यू करने पहुंचें तो मीडिया की बनाई मुसलमान विरोधी छवि की बात करते हुए नरेंद्र मोदी की आंखों में आंसू थे. ये कुछ ऐसे पल हैं जो एक मजबूत नेता के मन के अंदर छिपे भावुक हिस्से दिखाते हैं.
जेएनयू के दर्जनों शोध छात्र इस चर्चा का हिस्सा बने. चर्चा में उदय के अलावा जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष संदीप महापात्र और रक्षा विशेषज्ञ डॉ राजीव नयन भी मौजूद थे. उदय ने बताया कि किताब दरअसल एनडीए कार्यकाल के ठीक ढाई साल पूरे होने पर नवंबर 2016 में आनी थी लेकिन नोटबंदी ने देश के साथ साथ उन्हें भी चौंका दिया. उदय ने कहा कि एक ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था ठीक चल रही हो, इतना बड़ा कदम उठाने के लिए बहुत बड़े राजनीतिक साहस की जरूरत होती है और साहस प्रधानमंत्री मोदी में कूटकूटकर भरा है.
उदय ने कहा कि नोटबंदी के असल प्रभाव देश को आने वाले समय में दिखाई देंगे क्योंकि डिजिटल पेमेंट को लेकर देश मे एक क्रांति आ गई है. किताब में नोटबंदी के साथ-साथ स्किल इंडिया, माई गव, डिजिटल इंडिया और जनधन योजना का भी विश्लेषण किया गया है.
प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इनोवेशन mygov.in के बारे में किताब में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया गया है कि कैसे मोदी ने सरकार की योजनाओं में आमआदमी को जोड़ने की कोशिश की है. माईगव में हर सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी हासिल की जा सकती है और देश के नागरिक यहां सीधे पीएमओ तक अपनी राय भी पहुंचा सकते हैं. एक और अहम कदम पीएम मोदी ने हर महीने के आखिरी बुधवार को राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ बैठक का उठाया है. इससे वो केंद्र की योजनाओं को राज्यों में अमल में लाने की रफ्तार और प्रगति की हर महीने समीक्षा कर सकते हैं. 499 रुपये की किताब 'मार्चिंग विद् अ बिलियन' की प्रस्तावना वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के संस्थापक और सीईओ क्लोस श्वाब ने लिखी है.