इटली के राजदूत को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. नोटिस में इटली के राजदूत डैनियल मैनसिनी को 18 मार्च तक भारत नहीं छोड़ने का आदेश दिया गया है.
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को सलाह दी थी कि वह इतालवी नौसैनिकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करे कि जिन लोगों ने हलफनामा दिया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. इस मामले में राजनयिक लाभ न दिया जाए क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालत में हलफनामा देकर उससे मुकरा जा रहा है.
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गृह मंत्रालय ने यह भी कहा है कि यह विएना समझौते का उल्लंघन नहीं होगा क्योंकि यह किसी राजनयिक के खिलाफ उठाया जाने वाला कदम नहीं बल्कि अदालत को गुमराह करने का मामला है.
गृह मंत्रालय की इस सलाह और प्रधानमंत्री के कड़े रुख के बाद इस बात की आशंका बढ़ गई है कि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के मामले में इटली के राजदूत को गिरफ्तार किया जा सकता है. इस केस में इटली की ओर से बतौर वकील मुकदमा लड़ रहे हरीश साल्वे ने इटली सरकार के कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए खुद को पूरे मामले से अलग कर लिया है.
साल्वे का कहना है कि चूंकि इटली के राजदूत ने खुद भारतीय कानून व्यवस्था की प्रक्रिया में हिस्सा लिया था, इसलिए उन्हें इस मामले में कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए राजनयिक छूट नहीं मिल सकती है.
सूत्रों के मुताबिक इस मामले में गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक हुई. विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कानूनी तौर पर उस व्यक्ति के खिलाफ मामला बनता है, जिसने हलफनामा दिया था. अब सरकार को चाहिए कि वह सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करे कि वह अवमानना की कार्रवाई शुरू करे.
भारतीय मछुआरों के हत्या के आरोपी दो इतालवी नौसेनिकों को वापस नहीं भेजने की घटना को मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने देश की संप्रभुता को चुनौती बताया है. पार्टी ने कहा है कि इटली ने छल और धोखा के जरिए हमारी संप्रभुता को चुनौती दी है और ऐसे में इटली के राजदूत पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. राज्यसभा के विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने उन उपायों का जिक्र भी किया है जिसके तहत इटली के राजदूत को राजनयिक छूट के दायरे से दूर रखा जा सकता है.