दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक अहम फैसले में कहा है कि नाबालिगों के बीच शादी ‘वैध’ है और यह तभी रद्द की जा सकती है जब दोनों में से कोई एक पक्ष इसके खिलाफ याचिका दायर करे.
उच्च न्यायालय ने कहा ‘सेक्शन पांच की धारा (तीन), जो दूल्हे के लिए न्यूनतम उम्र 21 और दुल्हन के लिए न्यूनतम उम्र 18 तय करती है, के खिलाफ जाकर हुई शादी अवैधानिक शादी की श्रेणी में नहीं आती और न ही यह अवैधानिक करार देने योग्य शादियों की श्रेणी में आती है. नतीजतन, निष्कासन की प्रक्रिया से यह शादी मान्य होगी.’
न्यायमूर्ति बी डी अहमद और वी के जैन की एक पीठ ने कहा कि यहां तक कि बाल विवाह रोकथाम कानून के तहत भी नाबालिगों की संलिप्तता को अमान्य घोषित नहीं किया गया है और कानून तो बस इतना कहता है कि शादी तभी निरस्त की जा सकती है जब पति या पत्नी में से कोई भी इसके खिलाफ याचिका दायर करे.