scorecardresearch
 

भारतीय वायुसेना का फाइव स्टार सितारा... एयर मार्शल अर्जन सिंह

पश्चिम बंगाल स्थित पनागढ़ एयरबेस अब एमआईएफ अर्जन सिंह के नाम से जाना जाता है. यह पहली बार था जब एक ऑफिसर के जीवित रहते सैन्य प्रतिष्ठान का नाम उसके नाम पर रखा गया.

Advertisement
X
भारतीय वायुसेना में फाइव स्टार रैंक पाने वाले अकेले ऑफिसर थे अर्जन सिंह
भारतीय वायुसेना में फाइव स्टार रैंक पाने वाले अकेले ऑफिसर थे अर्जन सिंह

Advertisement

कुछ लोग हमेशा शीर्ष पर होते हैं और उनमें एक चीज कॉमन होती है- जुनून और प्रतिबद्धता. भारतीय वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह भी ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे. अर्जन सिंह वायुसेना के एक मात्र ऐसे ऑफिसर थे जिन्हें फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक दी गई थी. भारतीय सेना में अब तक सिर्फ तीन लोगों को फाइव स्टार रैंक मिली और अर्जन सिंह उनमें से एक थे. अर्जन सिंह के अलावा फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा और फील्ड मार्शल सैम मानेक शा को यह सम्मान मिला. दिल्ली के आर्मी अस्पताल में शनिवार शाम को अर्जन सिंह का निधन हो गया.

1. पद्म विभूषण से सम्मानित भारतीय वायुसेना के मार्शल अर्जन सिंह एक मात्र ऐसे ऑफिसर थे जिन्हें फाइव स्टार रैंक दी गई थी. फाइव स्टार रैंक फील्ड मार्शल के बराबर होती है.

Advertisement

2. अर्जन सिंह का जन्म पंजाब के लयालपुर में 15 अप्रैल 1919 को हुआ था, जो अब पाकिस्तान के फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है. अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एकमात्र फाइव स्टार रैंक ऑफिसर थे.

3. अर्जन सिंह 1 अगस्त 1964 से 15 जुलाई 1969 तक चीफ ऑफ एयर स्टाफ रहे. 1965 की लड़ाई में अभूतपूर्व प्रदर्शन के लिए उन्हें एयर चीफ मार्शल के पद पर प्रमोट किया गया था.

4. 1971 में अर्जन सिंह को स्विट्जरलैंड में भारत का एंबेसडर नियुक्त किया गया. इसके अलावा उन्होंने वेटिकन और केन्या में भी देश के लिए अपनी सेवाएं दी थी.

5. अर्जन सिंह ही केवल ऐसे चीफ ऑफ एयर स्टॉफ थे जिन्होंने एयरफोर्स प्रमुख के तौर पर लगातार पांच साल अपनी सेवाएं दीं.

6. 96 साल की अवस्था में अर्जन सिंह ने व्हीलचेयर पर बैठ कर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को पालम एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि दी थी.

7. अप्रैल 2016 में अर्जन सिंह के 97वें जन्मदिन के मौके पर चीफ ऑफ एयर स्टॉफ एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने पश्चिम बंगाल स्थित पनागढ़ एयरफोर्स बेस का नाम अर्जन सिंह के नाम किया. पनागढ़ एयरबेस अब एमआईएफ अर्जन सिंह के नाम से जाना जाता है. यह पहली बार था जब एक जीवित ऑफिसर के नाम पर सैन्य प्रतिष्ठान का नाम रखा गया.

Advertisement
10. 19 साल की अवस्था में अर्जन सिंह ने रॉयल एयरफोर्स कॉलेज ज्वॉइन किया. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अर्जन सिंह ने बर्मा में बतौर पायलट और कमांडर अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन किया था.

11. अर्जन सिंह के प्रयासों की बदौलत ही ब्रिटिश भारतीय सेना ने इंफाल पर कब्जा किया. इसके बाद उन्हें डीएफसी की उपाधि से नवाजा गया.

12. 1950 में भारत के गणराज्य बनने के बाद अर्जन सिंह को ऑपरेशनल ग्रुप का कमांडर बनाया गया. यह ग्रुप भारत में सभी तरह के ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होता है.

13. 1964 में उन्हें चीफ ऑफ एयर स्टॉफ बनाया गया. 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में अर्जन सिंह ने आगे बढ़कर वायुसेना के अभियानों का नेतृत्व किया.  

14. पाकिस्तान के खिलाफ जंग में अर्जन सिंह ने अद्भुत नेतृत्व क्षमता दिखाई और पाकिस्तान के भीतर घुसकर भारतीय वायुसेना ने कई एयरफील्ड्स तबाह कर डाले.

15. वायुसेना के इतिहास में एयर वाइस मार्शल के पद पर सबसे लंबे समय तक सेवा देने का रिकॉर्ड अर्जन सिंह के पास है.

Advertisement
Advertisement