कांग्रेस प्रवक्ता का भारतीय थल सेनाअध्यक्ष के एक बयान पर गुस्सा फूटा है. दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले से सरकार की किरकिरी तो पहले से ही हो रही है. अब सेनाअध्यक्ष के बयान ने इसमें और इज़ाफा कर दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘अगर उन्होंने ऐसा कहा है तो वाहियात बात है.’ दरअसल गुरुवार को सेनाध्यक्ष ने ऑपरेशन ग्रीन हंट के लिए चुने गए जवानों की तैयारी पर सवाल उठाए थे.
थल सेना अध्यक्ष वी के सिंह ने अपने बयान में कहा था कि जो जवान नक्सल हमले में मारे गए थे उन्हें सेना ने ट्रेनिंग नहीं दी थी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि वे लोग एक यूनिट की तरह ट्रेनिंग के लिए नहीं भेजे जाते हैं.
नाकाफी ट्रेनिंग की खबरें जब आम होने लगीं तो गृहमंत्रालय ने भी सफाई पेश की. पहले तो ट्रेनिंग में कमी की बात को सिरे से खारिज किया फिर फाइलों में दर्ज तारीखों के जरिए ये साबित करने की कोशिश की, कि शहीद हुए जवानों की ट्रेनिंग में कोताही नहीं बरती गई.
गृह मंत्रालय का दावा है कि ऑपरेशन ग्रीन हंट के लिए कंपनी ए को 25 मई 2009 से 21 जून 2009 तक प्री इंडक्शन ट्रेनिंग दी गई. जबकि 8 फरवरी से 25 मार्च 2010 तक उन्हें एंटी नक्सल ट्रेनिंग दी गई.
वहीं कंपनी सी को 25 मई 2009 से 21 जून 2009 तक प्री इंडक्शन ट्रेनिंग दी गई. कंपनी 'जी' को भी 28 फरवरी 2009 से 8 मार्च 2009 के बीच प्री इंडक्शन ट्रेनिंग दी गई थी.
सी और जी कंपनियों को उनकी बारी आने पर एंटी नक्सल ट्रेनिंग दी जाएगी. मंत्रालय का कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनाती के लिए सेना ने सीआरपीएफ की 10 बटालियन, बीएसएफ की 10 बटालियन और आईटीबीपी की 5 बटालियनों को ट्रेनिंग दी है.
वैसे मंत्रालय अपनी रिपोर्ट में फंसती दिख रही है. रिपोर्ट कहती है कि सी और जी कंपनियों को ऐंटी नक्सल ट्रेनिंग नहीं दी गई थी. ऐसे में सवाय यही है कि बिना ट्रेनिंग के इन कंपनियों को नक्सलियों से मुठभेड़ के लिए क्यों उतारा गया.
गृहमंत्रालय ने ये भी दावा किया है कि नक्सल हमले में शहीद हुए जवान सैनिक साजो सामान से पूरी तरह लैस थे.