दिग्गज भारतीय महिला मुक्केबाज एमसी मेरीकाम ने लगातार पांचवीं बार विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया और अब यह खिलाड़ी वर्ष 2012 लंदन ओलंपिक खेलों में पदक जीतना चाहती है.
स्टार मुक्केबाज एमसी मेरीकाम ने 48 किलो वर्ग में रोमानिया की स्टेलुटा डुटा को 16-6 से हराया लगातार पांचवां विश्व चैम्पियनशिप खिताब अपने नाम किया. मणिपुर की यह मुक्केबाज सभी विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र मुक्केबाज बन गई है. वर्ष 2001 में पहली बार हुए इस टूर्नामेंट में रजत पदक जीतने के बाद उन्होंने हर बार स्वर्ण पदक पर कब्जा किया.
इतिहास रचने के बाद प्रेट्र को दिए साक्षात्कार में मेरीकाम ने कहा, ‘मैं बहुत खुश हूं और भावनाएं व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं ऐसा करके बहुत प्रसन्न महसूस कर रही हूं.’ दो बच्चों की मां इस मुक्केबाज ने अपनी ममता और अभ्यास करने के बीच बेजोड़ संतुलन बिठाया और अब वह 2012 ओलंपिक पर नजरें गडाई हुई हैं.
स्टार मुक्केबाज मेरीकाम ने कहा, ‘मुकाबले और अ5यास के लिए अपने बेटों को छोड़ना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है. लेकिन मैंने अब तक बहुत मुश्किल से इसका प्रबंध किया और उम्मीद है कि मैं ऐसा (प्रदर्शन) कम से कम लंदन ओलंपिक तक जारी रखूंगी. मैं ओलंपिक में पदक जीतना चाहती हूं. यह मेरा सपना है.’{mospagebreak} मेरीकाम ने कहा, ‘मैं जानती हूं कि उम्र एक मसला हो सकती है लेकिन मैं लगातार कडी मेहनत करूंगी और फिट रहूंगी. मुझे लगता है कि मैं वहां खेलने और पदक जीतने में समर्थ हूं.’ लंदन ओलंपिक के दौरान पहली बार महिला मुक्केबाजी की तीन किलोवर्ग में स्पर्धाएं आयोजित की जाएंगी जिसमें फ्लाईवेट (48-51किलोवर्ग), लाइटवेट (56-60 किलोवर्ग) और मिडिलवेट (69-75 किलोवर्ग) शामिल हैं . मेरीकाम फ्लाईवेट में हिस्सा लेंगी.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसी वर्ग में नवंबर में होने वाले एशियाई खेलों के लिए ट्रायल दूंगी. मुझे लगता है कि मेरे पास इसके लिए तैयार होने का काफी समय है.’ कल की बाउट के बारे में मैरीकाम ने कहा, ‘मेरे उपर दबाव था लेकिन इससे मेरा ध्यान भंग नहीं हुआ. मैं बस खुद से कहती रही कि मुझे जीतना है. मैंने खुद को शांत रखा, पहले दो राउंड में उसे (डुटा) परखा और फिर तीसरे और चौथे दौर में प्रहार किया.’
स्टार मुक्केबाज ने कहा कि इस विश्व चैम्पियनशिप में उन्हें जीत के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि 2002 में अंताल्या (तुर्की) में जब मैंने पहली बार विश्व चैम्पियनशिप का स्वर्ण पदक जीता था वह सबसे कठिन था. इस बार अभियान आसान था.’ मैरीकाम का रिकार्ड भले ही अन्य मुक्केबाजों के लिए कडी चुनौती लगता हो लेकिन इस खिलाडी का कहना है, ‘यह खेल है और हर रिकार्ड कभी न कभी टूट जाता है. कोई नहीं जानता कि भविष्य में क्या हो. मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहती हूं.’ मैरीकाम के स्वर्ण पदक के अलावा अन्य भारतीय मुक्केबाज कविता ने :81 से अधिक किलोवर्ग में: कांस्य पदक जीता.