भारत में रेप की बढ़ती वारदतों से साल 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता बॉक्सर मैरी कॉम काफी चिंतित हैं और यही वजह है कि अब वे एक ऐसी एप्प लॉन्च करने जा रही हैं जो लड़कियों को रेपिस्टों से बचाएगी.
यह एप्प लड़कियों को ऐसी तकनीकों के बारे में बताएगी जिनसे वे खुद को हमलावर से बचा सकती हैं. ये वही तकनीकें हैं जिनका इस्तेमाल मैरी कॉम ने तब किया था जब उन पर एक शख्स ने बुरी नियत से हमला कर दिया था.
यह बात तब की है जब मैरी कॉम बॉक्सिंग चैम्पियन नहीं बनीं थीं. उस वाकए को याद करते हुए मैरी कहती हैं, 'मुझे याद है कि मैं पारंपरिक रैपराउंड ड्रेस पहनकर चर्च जा रही थी. तब मैं 18 साल की थी. रिक्शेवाला कुछ गलत करना चाहता था. हम सुनसान इलाके से गुजर रहे थे'.
लेकिन खुद को बचाने के लिए मैरी कॉम ने रिक्शेवाल के मुंह में जोरदार घूंसे मारे. वो कहती हैं, 'बूम, बूम, बम... और वह जमीन पर गिर गया- खल्लास'.
मैरी कॉम का कद भले ही 5 फुट 2 इंच का हो, लेकिन उनके स्वाभाविक आत्मविश्वास ने उन्हें लड़ने की शक्ति दी और अब वे इसे भारत की दूसरी महिलाओं को देना चाहती हैं. जी हां, मोबाइल फोन नेटवर्क वोडाफोन के साथ मिलकर उन्होंने एक ऐसी एप्प बनाई है जिसके जरिए महिलाओं को आत्मरक्षा के बुनियादी गुर सिखाए जाएंगे. यही नहीं उन्हें प्रोत्साहन और सलाह भी दी जाएगी. यह एप्प इसी साल लॉन्च हो जाएगी.
एप्प में वीडियो के जरिए बताया जाएगा कि कैसे हमलावार को मुंह-तोड़ जवाब दिया जाए. ये तकनीक इतनी साधारण हैं कि कोई भी इनका इस्तेमाल कर सकता है. लात-घूंसों से लेकर नाखून से खरोंच मारने तक और हाई हील वाले जूतों से हमला करना भी इसमें शामिल है.
यह एप्प सिर्फ स्मार्टफोन के लिए नहीं बल्कि बेसिक फोन के लिए भी है. फर्क सिर्फ इतना है कि जहां स्मार्टफोन में वीडियो से तकनीक समझाई जाएगी वहीं, बेसिक फोन में टेक्स्ट के जरिए गुर सिखाए जाएंगे.
लेकिन इस एप्प का मकसद सिर्फ महिलाओं को शारीरिक रूप से मजबूत बनाना ही नहीं है, बल्कि मैरी कॉम चाहती हैं कि महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ना चाहिए.
भारत में आज भी महिलाओं को दोयम दर्जा दिया जाता है और मैरी कॉम भी उन लड़कियों में शामिल हैं जिन्होंने यह सब खुद सहा है. वे बताती हैं, 'जब मैं छोटी लड़की थी तब मैं हमेशा खेलती रहती थी. मेरी रुचि खेलों में थी लेकिन मेरे गावं में कोई इसे नहीं समझता था. महिलाएं जो भी करती हैं उन्हें हतोत्साहित ही किया जाता है. मैंने आर्थिक रूप से पिता की मदद करने के लिए खेलों को अपना प्रोफेशन बनाया लेकिन लोग कहते थे, 'तुम लड़की हो, तुम ये नहीं कर सकती' या 'तुम एक औरत हो तुम्हें ये करना चाहिए'. मैं लड़कियों को ये आत्मविश्वास देना चाहती हूं कि अगर पुरुष कर सकते हैं तो आप भी कर सकती हैं'.
यह एप्प मैरी कॉम की ओर से बॉक्सिंग के जरिए महिलाओं की मदद करने का एक छोटा सा प्रयास भर है. आपको बता दें कि उन्होंने अपने गृहनगर मणिपुर में महिलाओं के लिए एक फाइटिंग क्लब भी बनाया है.