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कांग्रेस में इस्तीफों की बारिश, नई-पुरानी पीढ़ी में मतभेद आए सामने

इस्तीफे की इस मुहिम को लेकर पार्टी में सभी सहमत नहीं हैं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता जो अपना नाम जाहिर करने को तैयार नहीं हैं, उन्होंने राहुल गांधी की कही गई बातों पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया है तो हमें किसे इस्तीफा देना है.

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राहुल गांधी (फाइल फोटो-PTI)
राहुल गांधी (फाइल फोटो-PTI)

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दुख जताने के बाद बड़े पैमाने पर कांग्रेसी नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दिया है. इनमें दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया, अनिल चौधरी, महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा चौहान, तेलंगाना की प्रभारी पूनम प्रभाकर, बिहार प्रभारी विरेंद्र राठौड़, यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्रीनिवास, मध्य प्रदेश के प्रभारी दीपक बाबरिया और गोवा के प्रभारी गिरीश चौधणकर शामिल हैं. बताया जा रहा है कि इनमें से अधिकांश नेता जल्द ही कांग्रेस पार्टी के संगठन सचिव के सी  वेणुगोपाल से मुलाकात करेंगे.

महिला कांग्रेस की महासचिव भावना नाता डिसूजा ने भावुक होकर कहा कि सामान्य पृष्ठभूमि, गैर राजनीतिक बैकग्राउंड के लोगों को राहुल गांधी ने मौका दिया और पार्टी में आगे बढ़ने दिया. उन्होंने जिम्मेदारी (लोकसभा चुनाव में हार की) लेकर पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया है तो हमारा भी नैतिक दायित्व बनता है कि उनके साथ खड़े हों.

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भविष्य की रणनीति को लेकर एक साथ इस्तीफा देने वाले कांग्रेसी नेताओं की शुक्रवार देर रात तक बैठक चली. अब ये नेता कांग्रेस के संगठनात्मक सचिव के सी वेणुगोपाल से मिलेंगे. इससे पहले, कांग्रेस नेताओं के बीच हलचल मची हुई थी, क्योंकि कुछ युवा नेता इस्तीफा देने के लिए हस्ताक्षर अभियान में जुटे हुए थे. हालांकि इस पत्र में अभी तक महासचिव स्तर के किसी नेता का हस्ताक्षर नहीं दिखा है. माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर नई और पुरानी पीढ़ी के नेताओं में दो तरह की राय हो.   

जाहिर है इस्तीफे की इस मुहिम को लेकर पार्टी में सभी सहमत नहीं हैं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता जो अपना नाम जाहिर करने को तैयार नहीं हैं, उन्होंने राहुल गांधी की कही गई बातों पर चिंता व्यक्त  की. उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस अध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया है तो हमें किसे इस्तीफा देना है. कांग्रेस में बड़े पैमाने पर इस्तीफे की वजह से अराजकता फैल जाएगी. चुनावों में करारी हार के बाद से सभी राज्यों में संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल किए जा रहे हैं. कम से कम कुछ चीजों को यथावत चलने देना चाहिए. मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे से कांग्रेस शासित राज्यों में सरकारें अस्थिर हो जाएंगी. इससे हमें क्या हासिल होगा?

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बहरहाल, चुनावों में मिली हार के बाद से निराशा का भाव अभी भी बना हुआ है, और अभी इससे उबरने के कोई आसार भी नजर नहीं आ रहा है. भ्रम की वजह से सत्तारूढ़ दल के नेताओं को कांग्रेस पर तंज कसने का मौका मिल गया है. एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि हर निर्वाचन क्षेत्र में हार के कारणों का जानने के लिए ढांचा बनाए जाने की जरूरत है क्योंकि हर संसदीय क्षेत्र में हार की वजह अलग अलग होती है. हार की समीक्षा में लंबा समय नहीं लेना चाहिए. अगर इसमें लंबा समय लगा तो लोग हमें भुलने लगेंगे.   

पार्टी में प्रतिष्ठित पदों को लेकर पहले से ही पांच सितारा होटलों में बंद दरवाजें की बैठकें हो रही हैं. वहीं कई नेता नए विकल्प को लेकर मुखर हैं और उनका मानना है कि मौजूदा दुविधा की वजह से पार्टी की छवि को नुकसान हो रहा है. आनंद शर्मा, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, सचिन पायलट और यहां तक कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम को लेकर भी तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. बहरहाल, इतना साफ है कि राहुल गांधी पार्टी  अध्यक्ष से इस्तीफे के अपने फैसले पर अडिग हैं और पार्टी को मौजूदा हालात से उबरने के लिए जल्द ही कदम उठाने होंगे.

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