क्या नरेंद्र मोदी के वीजा के खिलाफ लिखी गई 65 सांसदों की चिट्ठी फर्जी है? चिट्ठी की सच्चाई कुछ भी हो पर सियासी हंगामा जारी है.
जो मीडिया रिपोर्ट सामने आ रहीं है कि उसके मुताबिक कई सांसदों ने ऐसी किसी चिट्ठी पर दस्तखत करने की बात को नकारा है. इन सांसदों का आरोप है कि इस चिट्ठी में उनके फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल हुआ है.
माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने दावा किया है कि ओबामा को भेजे गए पत्र पर उनके हस्ताक्षर ‘कट एंड पेस्ट’ का मामला लगता है. उनके अलावा डीमके के राज्यसभा सांसद केपी रामालिंगम, सीपीआई सांसद एमपी अच्यूतन, एनसीपी सांसद वंदना चव्हाण और संजीव नायक ने भी ऐसी किसी चिट्ठी पर दस्तखत करने की बात से इनकार किया है.
हालांकि, चिट्ठी लिखने वाले निर्दलीय नेता मोहम्मद अदीब अब भी दावा कर रहे हैं कि चिट्ठी पर किसी का हस्ताक्षर फर्जी नहीं है और सीताराम येचुरी भूल गए होंगे.
हस्ताक्षर पर सांसदों के मुकरते ही बीजेपी को मोदी का विरोध करने वालों पर हमले का मौका मिल गया.
बीजेपी ने इसे ‘कांग्रेस के गंदी चाल विभाग’ का कृत्य बताया और इसकी जांच की मांग की. पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘65 सांसदों में से कुछ का ओबामा को पत्र लिखने की बात से इनकार करना साफ दर्शाता है कि यह कांग्रेस के कुत्सित चाल विभाग का षडयंत्र है. कुछ सांसदों ने कहा है कि उनके जाली हस्ताक्षर किए गए हैं. इस मामले की विस्तृत जांच करके दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए.’
उधर कांग्रेस ने चिट्ठी के चक्कर से किनारा कर लिया है और कहा है कि मोदी के वीजा से उन्हें कोई मतलब नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता संदीप दिक्षित ने कहा, 'इस चिठ्ठी में कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं है ये तो सांसदों का व्यक्तिगत मामला है.'
उन्होंने कहा कि सांसद को चिठ्ठी लिखने से कोई नहीं रोक सकता है. फिलहाल पार्टी ने इन सांसदों के खिलाफ किसी तरह के कार्रवाई करने के बारे में नहीं सोचा है.
बीजेपी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने ट्वीटर पर कहा, ‘मोदी से राजनीतिक रूप से नहीं निपट पाने पर अब क्या इसके लिए बाहरी मदद ली जा रही है? भारतीय राजनीतिक लड़ाई के लिए अमेरिका से थर्ड अंपायर?’
गौरतलब है कि कि लोकसभा के 40 और राज्यसभा के 25 सदस्यों ने ओबामा को पत्र लिखा है कि मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं देने की नीति को जारी रखा जाए. राज्यसभा के 25 और लोकसभा के 40 सदस्यों ने क्रमश: 26 नवंबर और पांच दिसंबर 2012 को यह पत्र लिखा था और इसे रविवार को व्हाइट हाउस के लिए फिर से फैक्स किया गया.