उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई हिंसा के बाद सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव के लिए मुस्लिम संगठन लगातार मुसीबतें पैदा कर रहे हैं.
मुजफ्फरनगर-शामली में हुई हिंसा से खफा ऑल इंडिया तंजीम उलेमा-ए-हक के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना ऐजाज कासमी ने कहा है कि दंगों के बाद सपा प्रमुख का जो सांप्रदायिक चेहरा सामने आया है वह नरेंद्र मोदी से कम नहीं है. कासमी ने मुलायम को पत्र लिखकर वर्ष 2001 में संस्था द्वारा दिए गए सम्मान को वापस लौटाने की मांग की है.
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दारुल उलूम देवबंद के अतिथिगृह में सोमवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए कासमी ने कहा, 'सांप्रदायिक दंगे तो हिंदुस्तान की किस्मत बन चुके हैं, लेकिन यदि सरकार चाहे तो एक घंटे में ही दंगों पर काबू पाया जा सकता है.'
उन्होंने कहा, 'मुजफ्फरनगर-शामली दंगों में सैकड़ों बेकसूर मुसलमानों की हत्याएं होती रहीं और सपा सरकार तमाशा देखती रही.'
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उन्होंने कहा कि 2001 में संस्था ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को सेक्युलर व मुस्लिम हितैषी मानते हुए दिल्ली में कार्यक्रम का आयोजन कर राम मनोहर लोहिया अवार्ड प्रदान किया था, लेकिन हाल ही में हुए दंगों के बाद मुलायम सिंह यादव का जो साम्प्रदायिक चेहरा सामने आया है वह नरेंद्र मोदी से कम नहीं हैं.
कासमी ने कहा कि संस्था ने मुलायम को पत्र प्रेषित कर 10 दिन के भीतर उनके द्वारा दिया गया सम्मान लौटाए जाने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव व सपा सरकार उलेमा-ए-देवबंद व दारुल उलूम के लिए अपने आपको समर्पित बताते हैं, लेकिन यह देवबंद के साथ खुला धोखा है. यदि सपा सरकार को दारुल उलूम देवबंद से कुछ लगाव होता तो देवबंद किसी मेट्रो सिटी से कम नहीं होता, लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते क्षेत्रवासी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं.
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आजम खां पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि सियासी पार्टियां ऐसे लोगों को बड़े ओहदे देती हैं, जो नाम के तो मुसलमान हों लेकिन काम दूसरों का करते हैं. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नाम से मुसलमानों को भयभीत किया जा रहा है.
कासमी ने हालांकि यह भी दावा किया कि मोदी किसी भी कीमत पर देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते, क्योंकि स्वयं बीजेपी में ही मोदी के विरोधी मौजूद हैं.