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मायावती यूपीए सरकार से 'अपसेट', लेकिन जारी रहेगा समर्थन

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी विधेयक पर कांग्रेस के रवैये को लेकर व्यथित हैं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार को उसके बाकी बचे कार्यकाल तक उनका समर्थन जारी रहेगा.

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बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी विधेयक पर कांग्रेस के रवैये को लेकर व्यथित हैं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार को उसके बाकी बचे कार्यकाल तक उनका समर्थन जारी रहेगा.

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मायावती ने कहा कि कांग्रेस का इरादा संदिग्ध है और सत्तारूढ पार्टी इस मुद्दे पर गंभीर नहीं लगती. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, ‘उनका इरादा संदिग्ध है. वह चाहते हैं कि यह विधेयक लटका रहे.’

बसपा प्रमुख का कहना था कि अगर कांग्रेस और सरकार चाहती तो यह विधेयक पारित हो सकता था. यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी इस नाराजगी के मद्देनजर संप्रग सरकार को उनका समर्थन जारी रहेगा, उन्होंने कहा, ‘केन्द स्तर पर सांप्रदायिक ताकतें मजबूत न हो इसी के लिए हमने संप्रग सरकार को समर्थन दिया था. हमने इसे साढे तीन साल समर्थन दिया. अब तो बस सवा साल बच गये हैं. हम उन्हें और मौका देंगे.’

सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई है लेकिन लोकसभा में समाजवादी पार्टी के हंगामें के कारण इस विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी और 20 दिसम्बर को लोकसभा का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया.

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मायावती ने कहा कि सरकार ने ‘जान-बूझकर’ लोकसभा में ऐसी स्थिति पैदा की जहां बीजेपी ने अपने नेता लालकृष्ण आडवाणी तक को विधेयक पर अपनी बात रखने का मौका नहीं दिये जाने को लेकर हंगामा किया. उन्होंने कहा अगर सरकार वाकई में इस विधेयक को पारित कराने को इच्छुक होती तो वह लोकसभा में मार्शल का इस्तेमाल (सपा सदस्यों के खिलाफ) कर सकती थी. महिला आरक्षण विधेयक के दौरान राज्यसभा में मार्शल का इस्तेमाल किया गया था.’

बसपा नेता ने आर्थिक, गरीबी उन्मूलन और अनुसूचित जाति एवं जनताति के उत्थान जैसे अन्य मोर्चे पर विफल रहने का भी आरोप लगाया. उन्होंने इस दावे के लिए भी सरकार की आलोचना की कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक उसी की पहल पर आया है.

बसपा प्रमुख ने दावा किया कि उन्होंने सरकार को यह विधेयक लाने के लिए बाध्य किया क्योंकि इस आशय का प्रस्ताव अक्तूबर 2006 से लंबित था. इस संविधान संशोधन विधेयक को लाने में उन्हें छह वर्ष लगे. वास्तविक अर्थ में देखा जाये तो यह संप्रग सरकार है जो विलंब के लिए जिम्मेदार है.

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