सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बात करने वाली बीजेपी का नारा है ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्सट, सेल्फ लास्ट’ यानी पहले देश, फिर पार्टी और आखिर में व्यक्ति. लेकिन अटल-आडवाणी के बाद के युग में प्रवेश कर चुकी बीजेपी के नेता खुद को ही सर्वोपरि मानते हैं.
शुक्रवार को लोकसभा में बहस तो हो रही थी स्ट्रीट वेंडर्स को संरक्षण देने वाले बिल पर, लेकिन बीजेपी की ओर से बहस में हिस्सा लेते हुए युवा नेता शाहनवाज हुसैन बार-बार खुद को पार्टी के वरिष्ठ नेता ही साबित करते दिखे. वक्फ बिल पर सदन में दिए गए उनके भाषण को मीडिया ने नहीं छापा तो, उनका दर्द छलक पड़ा. उन्होंने स्ट्रीट वेंडर्स संरक्षण बिल पर बहस के दौरान वे कहा, ‘मेरे एक सांसद ने मुझसे कहा कि आप कल प्रवक्ता की तरह बोले, लेकिन कहीं नहीं छपा.’
इतना ही नहीं, शाहनवाज पूरी बहस के दौरान कभी अपने वरिष्ठ होने का ही सबूत देते रहे तो कभी केंद्रीय शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री गिरिजा व्यास के मंत्री बनने में हुई देरी का जिक्र कर कांग्रेस पर चुटकी भी लेते रहे. इस पर कांग्रेस के सांसद संजय निरुपम ने उन्हें मुद्दे पर बोलने की सलाह दे दी.
बस क्या था, शाहनवाज उखड़ गए. कहा, ‘निरुपम जी, इस हाउस में आपसे वरिष्ठ हूं. 14 साल से हूं. आप राज्यसभा में थे. मेरी उम्र पर मत जाइए. मेरी पार्टी ने यहां तुष्टिकरण नहीं कर रखा है. हमारी नेता प्रतिपक्ष सुषमा जी ने नियम के तहत मुझे इस सीट (विपक्षी बेंच की दूसरी कतार में वरिष्ठ नेताओं के साथ) पर बैठा रखा है. कई बार लोगों को लगता होगा कि ये शाहनवाज है (यानी मुसलमान), इसलिए इनको सुषमा जी ने आगे की बेंच पर बैठाया होगा.’
शाहनवाज यहीं नहीं ठहरे. उन्होंने यहां तक बता दिया कि वे किस तरह पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं. उन्हीं की जुबानी, ‘मैं भी यशवंत जी, सुषमा जी के साथ मंत्री रहा हूं, इसलिए यहां बैठाया है. हम लोग भी वरिष्ठ हैं. उम्र में कम लग रहा होगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप हमको टोक दीजिए. मेरे साथ भी वरिष्ठ सांसद जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए.’
इससे पहले अपने भाषण में उन्होंने सदन में खुद के पार्टी के प्रवक्ता होने और पार्लियामेंट्री पार्टी में होने वाली बातों पर बाहर जाकर टिप्पणी करने के अपने अधिकार का भी खूब बखान किया. केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास की ओर मुखातिब होकर शाहनवाज ने याद दिलाया कि जब वे केंद्र सरकार में मंत्री थे और गिरिजा व्यास बुनकरों के लिए जो भी काम कहती थीं, वह उसे फौरन कर दिया करते थे. वैसे अपने पद और काम को बड़ा बताने और वरिष्ठ जतलाने वाले नेताओं की कमी नहीं है.
पिछले साल बीजेपी की मुंबई कार्यकारिणी में जब स्थानीय मीडिया प्रभारी ने रविशंकर प्रसाद का परिचय राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर दिया, तो प्रसाद पार्टी की ब्रीफिंग शुरू करने से पहले यह याद दिलाना नहीं भूले कि वे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सीनियर वकील भी हैं. अब ऐसे में पार्टी के नेताओं के लिए देश प्रथम है या पार्टी या फिर खुद की महत्वाकांक्षा, गाहे-ब-गाहे जाहिर हो ही जा रही है.