उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में नाथूराम गोडसे की पहली प्रतिमा स्थापित किए जाने की तैयारी है. यहां की सिधौली तहसील के पारा गांव में गोडसे का मंदिर बनाने के लिए ईंटें गिरवा दी गई हैं. यह निर्माण कमलेश तिवारी अपनी ही एक बीघा जमीन पर करवा रहे हैं. तिवारी हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वे कहते हैं कि मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा 30 जनवरी 2015 को कराएंगे, जिस दिन गांधी जी की हत्या हुई थी. जब वे यह बातें मीडिया से कर रहे थे तब गांव के करीब डेढ़ हजार लोग भी मौके पर थे. मंदिर बन पाएगा या नहीं, अभी कहना मुश्किल है. क्योंकि पुलिस-प्रशासन गांव वालों को चेतावनी दे आया है कि यदि ऐसा कोई मंदिर बना तो वह उससे जुड़े सभी लोगों पर रासुका के तहत कार्रवाई करेंगे.
खैर, जो बात पूरे देश में फैली है, वह यह कि कहीं गोडसे की प्रतिमा स्थापित की जा रही है. इसके मायने क्या हैं-
- महाराष्ट्र के बारामती में जन्मे गोडसे को सीतापुर में यह कहकर महान बताया जा रहा है कि गांधी जी हिंदुओं के साथ अन्याय कर रहे थे और गोडसे ने उसे 3 गोलियां दागकर रोक दिया.
- गोडसे ने 1940 में उसी समय मुस्लिम लीग और उसकी राजनीति का विरोध शुरू किया. इसी दौर में जर्मनी में नाजीवाद अपने चरम पर था.
- कभी गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से जुड़े गोडसे ने उग्रवादी संगठन हिंदू राष्ट्र दल बनाया.
- वे गांधी जी के उपवास कार्यक्रमों का भी विरोध करने लगे. गोडसे मानते थे कि ऐसा करके गांधी जी मुस्लिमों का पक्ष लेते हैं और हिंदुओं की उपेक्षा करते हैं.
- नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे अपनी किताब में लिखते हैं कि देश विभाजन को लेकर गांधी जी के नजरिए ने उनके भाई को सबसे ज्यादा विचलित किया. गांधी जी न सिर्फ बंटवारे का समर्थन कर रहे थे बल्कि पाकिस्तान की उस मांग का भी समर्थन कर रहे थे, जिसमें वह भारत से 55 हजार करोड़ रुपये मांग रहा था.
- गोडसे ने गांधी जी की हत्या की भूमिका यह कहते हुए बनाई कि यदि गांधी जी रहेंगे तो देश का जाति और धर्म के नाम पर और विभाजन करवा देंगे. यानी अखंड भारत का सपना कभी पूरा नहीं होगा.
अखंड भारत आज भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू महासभा का सपना है, जिसमें पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका भारत में शामिल हैं. करीब 67 साल पहले इसकी चिंता वैसे ही की जाती थी, जैसे हिटलर महान जर्मनी के लिए करता था. इस चिंता का जो भी हो, लेकिन गोडसे को इस तरह फिर से पटल पर उभारने से हिंदू अतिवादी विचारधारा ही पनपेगी, मुसलमानों के खिलाफ. इन मामलों में देश की फिज़ा वैसे ही ठीक नहीं है.