बीजेपी की राज्यसभा सांसदी से इस्तीफा देने के बाद अचानक सोमवार सुबह प्रकट हुए नवजोत सिंह सिद्धू अपनी भड़ास या फिर यूं कहें कि बात कहकर निकल लिए. सिर्फ बोले और बोलते ही रहे. वो भी एग्रेसिव मोड में. हालांकि वो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी, पर पूछे गए सवालों का कोई सीधा जवाब किसी को नहीं मिला. आइए जानें पीसी में लगाए गए उनके सिक्सर का राज....
1. राज्यसभा से इस्तीफा मैंने इसलिए दिया क्योंकि मुझे यह कहा गया था कि तुम पंजाब की तरफ मुंह नहीं करोगे.
ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव हैं. केंद्र में ऑप्शन खिसकने के बाद वो अपने गृह राज्य से दूर नहीं होना चाहते. वो ये जानते हैं कि यहां से गए तो वो वहां चले जाएंगे, जहां से वापसी की उम्मीद नहीं.
2. मुझे पहली बार 17 दिन पहले अमृतसर से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था. जब आंधियां चली तो सिद्धू जाए.
क्योंकि उन्हें भरोसा है कि उनका पंजाब के बाजार में जो भाव है, वह हमेशा चढ़ा ही रहेगा. फिर चाहे वो किसके साथ ही क्यों न हों. वो यह बेहतर तरीके से जानते हैं कि पंजाब में जब चुनावी बिसात बिछती है तो उस पर पंजाब की जनता किसे बैठाती है. बाहरियों को तो वो घुसने भी नहीं देती. जेटली इसकी बानगी हैं.
3. पंछी भी उड़ता है तो शाम को वो अपने घर वापस जाता है. तो आप ही बताओ सिद्धू अपना घर कैसे छोड़ दे?
क्योंकि लगातार (2004 से) अमृतसर से सांसद होने के बाद (2014 में नहीं) वो ये बेहतर तरीके से जानते हैं कि अमृतसरियों के मन में उनके लिए क्या कुछ है. वो इस थ्योरी में चल रहे हैं कि आदमी चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो जाए उसे अपनी जमीन नहीं छोड़नी चाहिए. सिद्धू ये बेहतर तरीके से जानते हैं कि पंजाब की माटी ही उन्हें सब कुछ दिलाएगी.
4. जब मोदीजी की लहर आई तब विरोधी तो डूबे ही साथ में सिद्धू को भी उड़ा दिया.
यह कहकर सिद्धू ने स्पष्ट मैसेज दे दिया है कि जबसे मोदी आएं हैं उनका बंटाधार हो गया है. मोदीजी आए तो उनका टिकट कट गया. बची खुची उम्मीद थी कैबिनेट में शामिल होने की, जो खत्म हो गई दूसरे सबसे 'बड़े बदलाव' के बाद.
5. मुझे पद की इच्छा नहीं है. लेकिन मैं अमृतसरियों का विश्वास नहीं तोड़ूंगा.
ये लाइन बोलकर उन्होंने सीधे-सीधे अमृतसरियों को साधा है या यूं कहें कि पंजाबियों को साधा है. उन्हें पता है कि उनकी गुमशुदगी के पोस्टर भी अमृतसर में लग चुके हैं और जीत का मार्जिन भी लगातार (सिर्फ 6858) कम हो रहा था. इसलिए वो ये बताना चाहते थे कि मैं अपनी जड़ नहीं छोड़ सकता और उनका विश्वास भी.
6. जहां पंजाब का हित होगा मैं वहीं जाऊंगा.
पूरी पीसी की ये पंचलाइन थी. उन्होंने ये साफ मैसेज दे दिया है कि वो आखिर कहां जाने वाले हैं. जो पंजाब से नशा मिटाएगा, भ्रष्टाचार हटाएगा और किसानों को सुख शांति देगा.....सिद्धू वहीं जाएंगे. अब ये कहने की बात नहीं कि वो कहां जाएंगे.....पंजाब की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले और राष्ट्रीय परिदृश्य में तेजी से उभरती पार्टियों के ग्राफ पर नजर रखने वाले तो समझ ही गए होंगे कि उनका ठिकाना क्या है. देर है तो बस उनकी ऐसी ही जानदार दूसरी पीसी की.