मेडिकल घोटाले के मामले में ओडिशा हाईकोर्ट के एक पूर्व जस्टिस की एक दलाल से बातचीत का सीबीआई द्वारा किया गया कथित फोन टैप सार्वजनिक होने के बाद अब इस मामले में जांच की मांग बढ़ गई है. इस टेप में जज कथित रूप से मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सीट बेचने वाले दलाल से बात कर रहे हैं. इस बातचीत से ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचारियों को मौजूदा केंद्र सरकार से डर है, क्योंकि बातचीत में दलाल यह साफ कहता है कि 'चाय वाले' की सरकार में सब पर नजर रखी जा रही है.
पिछले साल सितंबर माह में सीबीआई ने ओडिशा हाईकोई के पूर्व जज आइएम कुद्दूसी को इस आरोप में गिरफ्तार किया था कि वे सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के कुछ शीर्ष जजों को घूस देकर प्रभावित करने की साजिश रच रहे थे. इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस टेप की एक स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से जांच की मांग की है.
चार जजों के नाराज होने की एक वजह यह मामला भी
गौरतलब है कि मेडिकल एडमिशन घोटाले का यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है और यह मसला भी CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ चार वरिष्ठ जजों के बागी तेवर दिखाने की एक वजह है. जस्टिस जे चेलमेश्वर ने इस कथित घोटाले की सुनवाई के लिए एक संवैधानिक बेंच बनाने का आदेश दिया था, लेकिन नवंबर माह में CJI मिश्रा ने इस आदेश को पलट दिया. इस मामले में शिकायत करने वाले लोग अब उस बातचीत का ट्रांसक्रिप्ट सर्कुलेट कर रहे हैं, जिसमें यह पता चलता है कि ओडिशा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस कुद्दूसी ने एडमिशन घोटाले के मामले में जजों को प्रभावित करने की कोशिश की.
इस ट्रांसक्रिप्ट के मुताबिक कुद्दूसी ने लखनऊ के प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट और सहारनपुर के ग्लोकल मेडिकल कॉलेज के पक्ष में आदेश दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों को सेट करने का प्रयास किया. इन दोनों कॉलेजों पर सरकार के नियम के खिलाफ जाकर एडमिशन देने का आरोप था. सितंबर में अपनी गिरफ्तारी से पहले पूर्व जस्टिस कुद्दूसी को मेडिकल कॉलेजों के दलाल विश्वनाथ अग्रवाल और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के बीपी यादव से डीलिंग करते हुए पकड़ा गया.
फोन से इनकी जो बातचीत टेप हुई उसमें वे कोड वर्ड में बातचीत कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट या इलाहाबाद हाईकोर्ट को मंदिर बता रहे हैं. इस बातचीत में अग्रवाल पूछता है, 'यह कौन से मंदिर में है. इलाहाबाद या दिल्ली के मंदिर में?' कुद्दूसी इसके जवाब में कहते हैं, 'नहीं, नहीं अभी तो यह किसी मंदिर में नहीं है, लेकिन यह जाएगा.'
अग्रवाल कथित रूप से इस घूसखोरी में एक 'कैप्टन' के शामिल होने की बात करता है. वह कहता है, 'हां, हां, इसमें आप एक चीज देखेंगे, 100 फीसदी, यह मामला हमारे कैप्टन के द्वारा ही देखा जाएगा. तो समस्या क्या है, मुझे बताइए?' शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सितंबर में हुई यह बातचीत मेडिकल कॉलेजों पर एडमिशन बैन का उल्लंघन करने पर सरकारी कार्रवाई के खिलाफ उनके सुप्रीम कोर्ट में अपील से ही जुड़ा है.
केंद्र सरकार से डर
इस बातचीत में दलाल अग्रवाल चिंता जताता है कि 'चायवाले' की सरकार भ्रष्टाचार पर सख्ती से नजर रखे हुए है. अग्रवाल कहता है, 'लगेज पहले ही देना होगा और वह मीटिंग के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि यह चायवाले की सरकार है. यह सब पर नजर रखे हुए है, यही समस्या है.'
दोनों घूस के बारे में खुलकर बात करते हैं. रिटायर्ड जस्टिस कुद्दूसी पूछते हैं, 'कितना एडवांस मिलेगा.' इसका जवाब मिलता है, 'उन्होंने तो उस समय कहा था कि रीव्यू पेटिशन के लिए 100 लोगों को देना होगा. यदि रीव्यू की इजाजत मिलती है, तो आपको बता दिया जाएगा. सोमवार को हम तय करेंगे. वे हमें 2 से 2.5 तक सामान देंगे, कोई समस्या नहीं.'
बीते साल सीबीआई ने इस घोटाले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया था उनमें रिटायर्ड जस्टिस इशरत मसरूर कुद्दूसी के अलावा बिचौलिया विश्वनाथ अग्रवाल, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के मालिक बी. पी. यादव और पलाश यादव के अलावा हवाला ऑपरेटर राम देव सारस्वत शामिल हैं. कुद्दूसी पर आरोप है कि उन्होंने न केवल प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को कानूनी मदद मुहैया कराई बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी मामले में मनमाफिक फैसला दिलाने का वादा किया था.