तहलका मामले में पीड़ित का नाम ट्वीट करने के मामले में बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने महिला आयोग के नोटिस का जवाब दे दिया है. मीनाक्षी का कहना है कि ट्वीट करने से पहले ही पीड़ित का नाम सभी जानते थे, लेकिन आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने महिला अयोग को जवाब देते हुए चिट्ठी में लिखा है कि जब नाम पहले ही प्रिंट या प्रसारित हो चुका है तो पीड़ित का नाम उजागर करने के लिए मुझे कैसे दोषी ठहराया जा सकता है. उन्होंने लिखा कि मुझे 30 नवंबर को मेल से आपका नोटिस मिला और मैं 24 घंटे के अंदर ही जवाब दे रही हूं.
बीजेपी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने रविवार को राष्ट्रीय महिला आयोग को सूचित किया कि तहलका के संपादक तरुण तेजपाल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला का नाम उन्होंने सोशल मीडिया में उजागर नहीं किया था और आरोप लगाया कि यह उन्हें बदनाम करने का प्रयास है.
बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने जानना चाहा कि एनसीडब्ल्यू ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस नेता अल्का लांबा और असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जो पहले दूसरे मामलों में पीड़िता का नाम उजागर कर चुके हैं.
उन्होंने अपने एक ट्वीट में कथित रूप से पीड़िता का उपनाम उजागर कर दिया था, जिसका तेजपाल ने गोवा में कथित रूप से उत्पीड़न किया था. मामले में एनसीडब्ल्यू ने उन्हें नोटिस जारी किया था और जवाब देने के लिए 24 घंटे का वक्त दिया था. पेशे से वकील लेखी ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने IPC की धारा 228A का उल्लंघन नहीं किया.
लेखी ने अपने जवाब में कहा, ‘इस मामले से मैं अच्छी तरह वाकिफ हूं और मामले को लेकर संवेदनशील हूं. मैंने पीड़िता का नाम या उसकी पहचान उजागर नहीं की.’ उन्होंने कहा कि किसी खुलासे को मुझसे नहीं जोड़ा जाना चाहिए. IPC की धारा 228A की स्थिति नहीं बनती.
उन्होंने कहा कि उनके ट्विटर हैंडल और मोबाइल फोन का दुरुपयोग किया गया. लेखी ने कहा कि उनके ट्वीट से पहले ही पीड़िता की पहचान सार्वजनिक हो चुकी थी और फिर भी एनसीडब्ल्यू ने कोई कार्रवाई नहीं की.