इस बात में किसी को कोई आश्चर्य नहीं होगा कि एक आर्मी मैन को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाए. शौर्य चक्र शांति काल में दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है, लेकिन एक इनकम टैक्स ऑफिसर को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाए तो थोड़ा आश्चर्य होता है, वो भी एलओसी पर आतंकियों का मुकाबला करने के लिए?
भारतीय राजस्व सेवा के पहले अधिकारी (आईआरएस ऑफिसर) और इनकम टैक्स मुंबई के एडीशनल कमिश्नर कैप्टन प्रदीप शौरी आर्या को शौर्य चक्र से नवाजा गया है. कैप्टन प्रदीप आर्या ने एलओसी पर एक आतंकी घुसपैठ को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई थी.
बता दें कि कैप्टन आर्या भारतीय सेना की टेरिटोरियल विंग में अधिकारी के रूप में तैनात हैं. आर्या को 106 इन्फैन्ट्री बटालियन टेरिटोरियल आर्मी में नियुक्त किया गया था, उन्हें शुरू से ही चौथी बटालियन पैराशूट रेजिमेंट के साथ अटैच किया गया था.
जम्मू कश्मीर के बारामूला जिले में एलओसी पर कैप्टन आर्या को इंटेलिजेंस नेटवर्क बनाने के लिए मिशन लीडर की जिम्मेदारी मिली थी.
एलओसी पर नाकाम की आतंकियों की घुसपैठ
28 मई 2017 को कैप्टन आर्या को जानकारी मिली कि चाबुक के निकट 19 इन्फैन्ट्री डिवीजन एरिया में आतंकी घुसपैठ की फिराक में लगे हुए हैं. कैप्टन आर्या ने तुरंत अपनी टीम को तैयार किया और घुसपैठ को रोकने के लिए आगे बढ़े.
भारतीय सेना की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 28 मई 2017 को रात के 10.30 बजे के करीब कैप्टन आर्या ने नाला के 200 मीटर आगे 4 से 6 आतंकियों के मूव का पता लगाया. अंधेरी रात और घने जंगलों के बीच आतंकियों के फरार होने की आशंका के बीच ऑफिसर और उनके साथियों ने असाधारण शौर्य का प्रदर्शन करते हुए आतंकियों को घेरने के लिए आगे बढ़े और तुरंत फायर फाइट शुरू कर की.
बयान में कहा गया है कि 'जबरदस्त साहस का प्रदर्शन करते हुए कैप्टन आर्या ने अपने जीवन की परवाह नहीं की और आतंकियों को खत्म करने के लिए सीधे भिड़ गए और उन्हें ठिकाने लगा दिया.'
टैक्समेन के रूप में कैप्टन आर्या की वापसी
कैप्टन आर्या एक बार फिर टैक्समेन के रूप में मुंबई लौट आए हैं. इंडिया टुडे के साथ बातचीत में कैप्टन ने कहा, 'जब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को मेरे अवॉर्ड के बारे में पता चला तो सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के चेयरपर्सन सुशील चंद्र ने फोन किया और बधाई दी.'
कैप्टन ने देश के लिए जो किया, उससे उन्हें प्यार है. उन्होंने कहा, 'जब गोली चलती है, तो सामने एक आईआरएस ऑफिसर को देखकर दिशा नहीं बदलती, बल्कि आर-पार हो जाती है.'
पैराशूट रेजिमेंट ही क्यों? के सवाल पर वे कहते हैं कि 'मैं एक एविएटर हूं- प्रशिक्षित पायलट.' हर साल दो महीने कैप्टन भारतीय सेना में टेरिटोरियल ऑर्मी के जवान के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं.
एक ब्यूरोक्रेट के रूप में अपनी सबसे बड़ी चुनौती के बारे में पूछे जाने पर कैप्टन कहते हैं कि हर बार जब भी मैं बाहर जाता हूं तो सबसे पहली चीज मुझे खुद को बार-बार समझाना पड़ता है कि मैं एक आईआरएस ऑफिसर नहीं हूं. अगर आप मैं अपने स्टेटस और अहंकार के साथ वहां जाएंगे, तो लोग आपका सम्मान नहीं करेंगे. वे उन लोगों की इज्जत करते हैं, जो उनको लीड करता है. वे उनका सम्मान करते हैं, जो उनके लिए अपना जीवन दे सकता है और इसके बदले में वे अपना जीवन कुर्बान कर सकते हैं.
अवॉर्ड से भरे हैं कैप्टन आर्या के शेल्फ
साल 2013 में कैप्टन आर्या को राष्ट्रपति ने चुनाव में उत्कृष्ट सेवा के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया. इस अवॉर्ड की शुरुआत भारतीय चुनाव आयोग ने की थी, इसका लक्ष्य कर्नाटक और नागालैंड में बड़ी मात्रा में कैश को नियंत्रित करना था.
नॉर्दर्न कमांड, उधमपुर की स्पेशल फोर्स का हिस्सा होते हुए कैप्टन आर्या ने भारतीय सेना के लिए पर्याप्त के लिए इंटेलीजेंस बेस्ड जानकारियां जुटाई जिनके आधार पर सेना ने आतंकियों को खत्म किया.
परिवार और देश के बीच बनाता हूं बैलेंस
सीमा पर तैनाती के बारे में परिवार के रिएक्शन के बारे में पूछे जाने पर कैप्टन ने कहा, 'मैं समझता हूं कि मेरे परिवार ने समय के साथ जीवन और मृत्यु का कॉन्सेप्ट समझ लिया है. जहां तक मेरी बात है मैं अपने परिवार और देश के बीच कर्तव्यों के पालन में बैलेंस बनाने की कोशिश करता हूं.'