पटना के एक छोटे से कमरे से दो भाई दुनिया के सबसे बड़े सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक को टक्कर देने में जुटे हैं. 22 साल के निलय और 24 साल के अंकुर सिंह ने जंपबुक नाम की एक सोशल नेटवर्किंग साइट लांच की है, जिसका दावा है कि यह फेसबुल से कहीं बेहतर साइट है.
पिछले तीन महीने में ही इस सोशल साइट का दायरा 30 हजार के आंकडे को पार गया है, मगर मुफलिसी में जी रहे इन दो भाइयों ने इसे मिशन के तौर पर लिया है और दावा है कि 5 इन 1 जैसी सुविधा से लैस जंपबुक फेसबुक से कहीं बेहतर साइट होगी, अगर उन्हें थोड़ी मदद मिल जाए.
वैसे इन दोनों भाइयों को देखकर तो कतई नहीं लगता कि ये फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग को चुनौती देगें, मगर पटना के एक छोटे से मकान में रहकर इन दोनों ने जंपबुक को फेसबुक की लाइन में खड़ा किया है. इसी साल 16 अप्रैल को इन्होंने जंपबुक के लिए डोमेन खरीदा और 15 मई को इसे लांच कर दिया. महज तीन महीनों में ही इसके फॉलोअर्स की संख्या 30 हजार को पार कर गई, लेकिन आर्थिक मदद नहीं होने से ये भाई इसे और बड़ा नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन इनका दावा है कि इनका जंपबुक किसी मायने में फेसबुक से कम नहीं, बल्कि बेहतर है.
जंपबुक बनाने वाले निलय सिंह कहते हैं, हमारी कोशिश थी कि हम जो बनाएं, वो भारतीय दिखे और जो तमाम चीजों को समेटकर चले, सिर्फ सोशल नेटवर्किंग साइट ना रहे. इसमें हमने काफी फीचर्स दिए हैं, जो सिर्फ चैटिंग या दोस्ती तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सोशल नेटवर्किंग के साथ पढा़ई-लिखाई सब एक छत के अंदर हमें मिल जाए.
निलय की बात को आगे बढा़ते हुए अंकुर सिंह ने कहा, हमने इसमें कई एक्स्ट्रा फीचर्स दिए हैं. युवाओं को टारगेट किया है इसमें. एक क्विज का फीचर है, साथ ही पढाई-लिखाई का भी एक फीचर है, जिसमे स्कूल-कॉलेज और कोचिग के लड़के अपनी पढाई कर सकें. एक मार्केट का कोना है, जहां आप खरीद-बिक्री भी कर सकते हैं, लिस्टिंग करवा सकते हैं.
दोनों भाइयों ने कुछ साल पहले ही फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट बनाने का सपना देखा था. इन दोनों ने पहले कम्प्यूटर ट्रेनिंग इस्टीट्यूट में दाखिला लिया, लेकिन जब वहां मदद नहीं मिली, तो एआईट्रिपलई में दाखिला लिया.
अंकुर ने गुड़गांव और निलय ने लुधियाना का रुख किया, लेकिन पैसे के अभाव में अंकुर की पढाई छूट गई. इसके बावजूद जंपबुक बनाने के उनके जज्बे पर कोई असर नहीं पड़ा. दोनों भाइयों ने मिलकर इस लांच कर दिया.
भविष्य की ओर देखते हुए अंकुर सिंह कहते हैं, हमारे 30 हजार यूजर हो चुके हैं और दिन ब दिन इनकी संख्या बढती जा रही है. इस वजह से हमारा सर्वर लोड नहीं ले पा रहा है. हम अपने सर्वर को बढा़ने के लिए फंडिंग की व्यवस्था कर रहे हैं, ताकि अगले 6 महीने में हमारे 10 लाख यूजर हो जाएं.
इस वेबसाइट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें अपशब्दों और गालियों के लिए कोई जगह नहीं है. अगर कोई गाली लिखने की कोशिश करता है, तो वो शब्द (बैड वर्ड्स) में तब्दील हो जाता है. बहरहाल पैसे की कमी इन भाइयों के मिशन के आड़े आ रही हैं. अंकुर सिंह अपना इंजीनियरिंग पैसे की कमी की वजह से पूरा नहीं कर पाए हैं, इसके बावजूद साइट बनाने के उसके जज्बे में कोई कमी नहीं है.