जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक अनिश्चितता के बाद राज्यपाल शासन लागू हो गया है. राज्य में अब सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच तो टकराव बढ़ेगा ही, इस बात की भी आशंका है कि पाकिस्तान ऐसे हालात का फायदा उठाने की कोशिश करेगा.
हालांकि अभी पाकिस्तान में चुनाव का माहौल है, ऐसे में तत्काल तो पाकिस्तान की तरफ से ज्यादा कुछ नहीं हो सकता.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, मोदी सरकार पाकिस्तान से वार्ता न करने और सख्ती से पेश आने के अपने रुख पर कायम रह सकती है और जम्मू-कश्मीर के भीतर ज्यादा सख्त नीतियां अपनाई जा सकती हैं.
बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की सरकार बनना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका था. लेकिन अब इस सरकार का गिर जाना पाकिस्तान में भारत विरोधी तत्वों के लिए फिलहाल राहत की खबर है. उनके लिए खुश होने की कई वजहें हैं, बीजेपी-पीडीपी सरकार का गिरना, शुजात बुखारी की हत्या और संयुक्त राष्ट्र की भारत विरोधी रिपोर्ट.
यह देखते हुए कि गर्मियों में घुसपैठ काफी बढ़ जाती है, सरकार को भी इस बात की आशंका है पूरे एलओसी पर घुसपैठ की घटनाएं बढ़ सकती हैं. कई हफ्ते पहले भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ ने सीजफायर को बनाए रखने का फैसला किया था, लेकिन अब यह भी बेमानी हो चुका है.
हालांकि, कई जानकार यह कहते हैं कि तत्काल भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में ज्यादा बदलाव नहीं आने वाला, क्योंकि पाकिस्तान में जुलाई के तीसरे हफ्ते में ही चुनाव है और वहां के नेता इसमें काफी व्यस्त हैं.
पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त टीएसए राघवन कहते हैं कि पाकिस्तान में अभी चुनाव का माहौल है. इसलिए वहां तात्कालिक कोई असर तो नहीं दिखेगा. लेकिन बयानबाजी को बढ़ावा मिल सकता है.
दुर्भाग्य से ऐसे मौके पर संयुक्त राष्ट्र की हमारे देश को नुकसान पहुंचाने वाली एक रिपोर्ट भी आ गई है, जिसका पाकिस्तान लाभ उठाने की कोशिश कर सकता है. हालांकि, यदि मोदी सरकार ने आतंकवाद पर सख्त दिखाई तो इसका दुनिया के शायद कुछ ही देश विरोध करें.