जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मोदी सरकार को पाकिस्तान से तुरंत बातचीत की नसीहत दी है. आजतक से सीधी बात में महबूबा ने कहा कि जब आर्मी बैकग्राउंड वाले मुशर्रफ से बात हो सकती है तो जनता से निर्वाचित इमरान खान से क्यों नहीं.
महबूबा ने राज्य की समस्या का राजनीतिक समाधान तलाशने की पैरवी करते हुए कहा कि वे बीजेपी से शुरू से ही कह रही हैं कि इस मसले के लिए पाकिस्तान से बातचीत की जाए, क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है.
महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की समस्या राजनीतिक है, लिहाजा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यहां राज्यपाल का शासन है या फिर किसी और का. उन्होंने कहा कि अभी पूरा जोर राज्य में लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना है. उन्होंने कहा कि राज्य में इन्फ्रास्ट्र्क्चरल डेवलपमेंट से पहले कश्मीर के लोग शांति चाहते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए महबूबा ने कहा कि उन्होंने अपना वादा निभाया था. तभी वे पाकिस्तान गए. उन्होंने पाकिस्तान को सीजफायर के लिए राजी किया, जो 8 साल तक चला. वाजपेयी की तारीफ करते हुए महबूबा ने कहा कि उन्होंने तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्ऱफ जो कि फौजी थे, उन्हें भी सहमत कर लिया था.
सीधी बात में जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान में विश्वास है, तो उन्होंने कहा कि हमें खान के बयान का स्वागत करना चाहिए. महबूबा ने कहा कि भारत को सकारात्मक पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वार्ता ही एक मात्र विकल्प है. युद्ध किसी भी तरीके का समाधान नहीं है. अंधराष्ट्रभक्ति कोई विकल्प नहीं है.
राज्य में पीडीपी-बीजेपी की दोस्ती टूटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए दोनों ही कसूरवार हैं. महबूबा ने कहा कि समर्थन वापसी के लिए मैं बीजेपी को दोष नहीं दूंगी, लेकिन एक कश्मीरी होने के नाते मैंने अपनी अवाम से कई वादे किए थे. मैं नहीं चाहती थी कि उनमें अविश्वास की भावना हो.
कठुआ गैंगरेप पर महबूबा ने कहा कि इस घटना के बाद बीजेपी के नेताओं ने कश्मीर में ध्रुवीकरण की कोशिश की. रेप के आरोपियों के समर्थन में जब बीजेपी के मंत्री आए तो मैंने पार्टी से कहा कि उन मंत्रियों को हटाया जाए. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं के उस रैली में शामिल होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह तक बेहद परेशान थे.