पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बुधवार शाम को मुलाकात की है. इसके बाद ऐसी अटकलें तेज हो गईं हैं कि शायद यूपीए ने अपना राष्ट्रपति प्रत्याशी तय कर लिया है. बीजेपी के दलित कार्ड के जवाब में मीरा कुमार यूपीए की दलित महिला कार्ड हो सकती हैं. हालांकि इसके बारे में अंतिम निर्णय गुरुवार को होने वाली विपक्ष की बैठक में ही लिया जाएगा.
गौरतलब है कि बीजेपी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में दलित नेता और बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नाम सामने लाकर सबको चौंका दिया था. मोदी के इस ट्रंप कार्ड से विपक्ष अभी से धराशायी सा लग रहा है. वैसे भी आंकड़े काफी हद तक एनडीए के साथ हैं, इसलिए और भी यूपीए के किसी भी कार्ड में वजन नहीं दिख रहा है.
अगर मीरा कुमार को प्रत्याशी बनाया जाता है तो वाकई मुकाबला कुछ दिलचस्प हो जाएगा. कोविंद कम बोलने वाले शालीन चेहरे हैं. विवादों से नाता न के बराबर रहा है. कोरी जाति के दलित हैं और उत्तर प्रदेश के कानपुर से आते हैं.
कोविंद का नाम इसीलिए विपक्ष को एक झटका है. एनडीए के कुछ घटक, जो किसी अन्य नाम पर नखरे दिखा सकते हैं, शांति से कोविंद के नाम को स्वीकार कर लेंगे. इससे विपक्ष के लिए असमंजस की स्थति आ गई है.
दोनों हैं पढ़े-लिखे और योग्य
एजुकेशन के लिहाज से देखा जाए तो रामनाथ कोविंद और मीरा कुमार दोनों ही काबिल व्यक्ति हैं. लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मीरा कुमार की सफल पारी को देश की जनता देख चुकी है. मीरा कुमार अगली पीढ़ी की दलित हैं. असल में वे पूर्व
उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की पुत्री हैं और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज से पढ़ाई की है. वे 1970 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुनी गई थीं और कई देशों में राजनयिक के रूप में सेवा दे चुकी हैं.
दूसरी तरफ, कोविंद एक कानपुर देहात जिले के एक गांव में साधारण परिवार में पैदा हुए. उन्होंने कानपुर के एक कॉलेज से पढ़ाई की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के बाद राजनीति में प्रवेश किया. उनका प्रशासनिक अनुभव बिहार के राज्यपाल के रूप में है. दोनों ने वकालत की पढ़ाई की है. कोविंद का चयन भी प्रशासनिक सेवा के लिए हो चुका था, लेकिन उन्होंने नौकरी करने की जगह वकालत करना पसंद किया. मीरा कुमार 72 साल की हैं, जबकि रामनाथ कोविंद 71 साल के हैं.