पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि हिमालयी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और यह गंभीर चिंता का विषय है.
रमेश ने लोकसभा में आज प्रश्नकाल के दौरान ए सम्पत तथा एम एस श्रीनिवासुलू रेड्डी के पूरक सवालों के जवाब में इस बात को सही बताया कि हिमालयी ग्लेशियर पिघल रहे हैं लेकिन साथ ही कहा कि हिमालयी ग्लेशियरों की तुलना आर्कटिक से नहीं की जा सकती क्योंकि दोनों की इकोलोजी में काफी अंतर है.
उन्होंने कहा कि हिमालयी ग्लेशियरों का पिघलना गंभीर चिंता का विषय है लेकिन पर्यावरण मंत्री ने जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की चौथी आकलन रिपोर्ट में दी गयी इस चेतावनी से सहमति नहीं जतायी कि यदि ये ग्लेशियर मौजूदा दर से पिघलते रहे तो 2035 या उससे पहले ही इनका सफाया हो जाएगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमालयी ग्लेशियर दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से के ग्लेशियरों के मुकाबले तेजी से पिघल रहे हैं और यही हाल रहा तो आशंका है कि 2035 तक इन ग्लेशियर का नामोनिशान मिट जाएगा. रमेश ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक इस रिपोर्ट से इत्तिफाक नहीं रखते और केवल विज्ञान ही इसका जवाब दे सकता है.